टीके की वजह से किसी की आजीविका चली जाए तो उसकी शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं?- अदालत ने पूछा |

टीके की वजह से किसी की आजीविका चली जाए तो उसकी शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं?- अदालत ने पूछा

टीके की वजह से किसी की आजीविका चली जाए तो उसकी शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं?- अदालत ने पूछा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : November 16, 2021/2:24 am IST

What if someone losses life due to covid ?  : कोच्चि, 16 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से बृहस्पतिवार को पूछा कि अगर सरकार द्वारा लगाए जा रहे टीके से किसी की आजीविका चली जाए तो उसकी शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं है? अदालत ने इस मामले को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करने के दौरान सरकार से इस बारे में जानकारी मांगी।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक टीके की तीसरी खुराक लेने की अनुमति दी जाए ताकि वह सऊदी अरब वापस जा सके जहां वह कोविड-19 महामारी फैलने से पहले वेल्डर के तौर पर काम करता था।

सऊदी अरब में कोवैक्सिन टीके की दो खुराक को मंजूरी या मान्यता नहीं मिली है अतः याचिकाकर्ता को वहां जाने की अनुमति नहीं मिल सकती। इसलिए याचिकाकर्ता ने टीके की तीसरी खुराक के लिए अदालत का रुख किया है।

न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि अदालत केंद्र सरकार पर दोषारोपण नहीं कर रही लेकिन जब किसी नागरिक को दिए गए टीके की वजह से उसकी आवाजाही पर पाबंदी लग जाए या उसका रोजगार छिन जाये तो क्या उसकी शिकायत सुनना सरकार का कर्तव्य नहीं है।

What if someone losses life due to covid ? अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनु एस. को निर्देश दिया कि वह इसकी जानकारी प्राप्त करें कि सऊदी अरब में कोवैक्सिन को मंजूरी क्यों नहीं मिली है जबकि इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकालीन प्रयोग के लिए मंजूरी दी है।

एएसजी ने कहा कि महामारी के दौरान लोगों की जान बचाना प्राथमिकता थी इसलिए केंद्र सरकार उस समय टीके की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता के लिए इंतजार नहीं कर सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि किसी अन्य देश पर किसी चीज के लिए दबाव बनाने के मामले में सरकार की अपनी सीमायें हैं।

हालांकि, अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा टीका लगाए जाने के कारण किसी नागरिक का रोजगार चला जाना या यात्रा पर प्रतिबंध होना उसकी मौलिक अधिकारों का हनन है।

उच्च न्यायालय ने एएसजी को निर्देश दिया कि वह सऊदी अरब के बारे में जानकारी हासिल करके उसे इससे अवगत करायें। इसके साथ ही अदालत ने मामले को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

भाषा यश अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)