नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी अनुभवी वास्तुविद के लिए किसी भवन परिसर की जांच के दौरान इस बात का पता लगाना ‘‘असंभव नहीं’’है कि अग्निशमन उपकरण और पानी को मीठा बनाने वाले संयंत्र जैसी सुविधाएं देखरेख के अभाव के कारण खराब पड़ी हैं या अधूरा लगाए जाने के कारण खराब हैं।
उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें नोएडा में एक अपार्टमेंट परिसर के रहवासी कल्याण संगठन (आरडब्ल्यूए) ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष उपभोक्ता शिकायत दायर कर कई मुद्दे उठाए थे जिनमें सोसायटी में अग्निशमन उपकरण, पानी को मीठा बनाने के संयंत्र और दूसरे स्वीमिंग पूल की खराब हालत सहित कई अन्य मुद्दे शामिल थे।
एनसीडीआरसी ने जनवरी 2010 के आदेश में आरडब्ल्यूए की तरफ से दायर शिकायत को आंशिक रूप से मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद बिल्डर और संगठन ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एनसीडीआरसी ने एक स्थानीय आयुक्त को सुविधाओं की जांच के लिए नियुक्त किया था, जिन्हें आरडब्ल्यूए ने उठाया था। आयुक्त एक वास्तुकार थे और उन्होंने अपार्टमेंट परिसर में पानी को मीठा बनाने वाले संयंत्र, अग्निशमन उपकरण और दूसरे स्वीमिंग पूल के मुद्दे की जांच की थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि स्थानीय आयुक्त ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जांच के बाद रिपोर्ट सौंपी और एनसीडीआरसी ने रिपोर्ट को स्वीकार किया और शिकायत को आंशिक रूप से मंजूरी दी।
इसने कहा कि स्थानीय आयुक्त ने सुविधाओं की जांच की और कई चीजें पाईं, जिनमें पानी को मीठा बनाने वाला संयंत्र अधूरा था और अग्निशमन उपकरण को अधूरा लगाए जाने के कारण वह काम नहीं कर रहा था।
अदालत ने कहा कि अगर सभी सुविधाओं को पूरी तरह संचालित अवस्था में सौंपा गया था, तो बिल्डर को आरडब्ल्यूए से लिखित में इसकी स्वीकृति हासिल करनी चाहिए थी।
पीठ ने कहा, ‘‘किसी अनुभवी वास्तुकार के लिए यह असंभव नहीं है कि जिस तारीख को उन्होंने जांच की तब पता कर सकें कि उपर्युक्त सुविधाएं देखरेख की कमी के कारण खराब पड़ी हैं या उन्हें आधा-अधूरा सौंपा गया था या चालू हालत में नहीं सौंपा गया था।’’
पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी के आदेश के कार्यकारी हिस्से के मुताबिक बिल्डर को अग्निशमन उपकरण और पानी को मीठा बनाने वाले संयंत्र सहित सुविधाओं को पूरी तरह संचालित करना चाहिए और उसे स्वतंत्र वास्तुकार से काम पूरा होने का प्रमाण पत्र हासिल करना चाहिए।
आदेश के मुताबिक अगर बिल्डर एनसीडीआरसी द्वारा तय समय सीमा के तहत ऐसा नहीं कर पाता है तो उसे जुलाई 2008 की आयुक्त की रिपोर्ट के मुतताबिक करीब 1.16 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।
अपार्टमेंट परिसर में करीब 282 अपार्टमेंट हैं और इसके पूरा होने का प्रमाण पत्र दिसंबर 2001 में जारी हुआ था। आरडब्ल्यूए 2003 में पंजीकृत हुआ था और इसने नवंबर 2003 में बिल्डर के साथ अपार्टमेंट परिसर की देखभाल का समझौता किया।
भाषा नीरज नीरज दिलीप
दिलीप
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