शासन को सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नौकरशाहों की : उपराष्ट्रपति |

शासन को सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नौकरशाहों की : उपराष्ट्रपति

शासन को सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नौकरशाहों की : उपराष्ट्रपति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : March 29, 2022/8:15 pm IST

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नौकरशाहों की है कि शासन सबसे गरीब और सबसे कमजोर तबके के दरवाजे तक पहुंचे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोक प्रशासन को अधिक नागरिक केंद्रित और न्याय एवं निष्पक्षता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासकों को जरूरतमंदों और वंचितों के लिए अधिक सुलभ होने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) द्वारा आयोजित पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्षिक व्याख्यान को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि शासन का नागरिक केंद्रित प्रतिमान एक कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली पर टिका है। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रणाली को नागरिकों की बढ़ती जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुकूल खुद को ढालने में सक्षम होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह नौकरशाहों को सुनिश्चित करना है कि शासन हमारी आबादी के सबसे गरीब और सबसे कमजोर वर्ग के दरवाजे तक पहुंचे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी विकास कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन का मानदंड उस सीमा तक निहित है जिस तक यह समाज के जरूरतमंद वर्गों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित और परिवर्तित कर सकता है।’’

नायडू ने कहा कि प्रशासकों को जरूरतमंदों और वंचितों के लिए अधिक सुलभ होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नौकरशाहों को समाज के सभी वर्गों से लेकर अंतिम व्यक्ति तक नागरिकों को भारत की विकास गाथा लिखने में सक्रिय भागीदार के रूप में शामिल करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति के तौर पर नायडू आईआईपीए के अध्यक्ष हैं। बाद में उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आईआईपीए ने अपने गठन के पिछले 67 वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है।

सिंह ने कहा कि सेवानिवृत्त अधिकारियों के क्लब से अब यह क्षमता निर्माण के क्षेत्र में एक जीवंत और गतिशील संस्थान में तब्दील हो गया है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

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