नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा की पत्नी वसंता कुमारी ने माओवादियों से संबंध रखने के मामले में उन्हें (साईबाबा को) बरी किये जाने पर मंगलवार को कहा कि 10 साल के संघर्ष के बाद न्याय मिला।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने साईबाबा को बरी करते हुए कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा।
कुमारी ने कहा कि उनके पति की प्रतिष्ठा कभी भी दांव पर नहीं लगी क्योंकि जो लोग उन्हें जानते थे वे उन पर विश्वास करते थे। उन्होंने संघर्ष के दौरान साईबाबा का समर्थन करने वाले वकीलों और कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद दिया।
उच्च न्यायालय ने साईबाबा (54) को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को भी रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि एस.ए. मेनेजेस की खंडपीठ ने मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया।
साईबाबा 2014 में, गिरफ्तारी के बाद से नागपुर केंद्रीय कारागार में बंद हैं।
वर्ष 2017 में, महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले की एक सत्र अदालत ने माओवादियों से संबंध रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोपों को लेकर साईबाबा, एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र सहित पांच अन्य को दोषी ठहराया था।
सत्र अदालत ने उन्हें गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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