मामले की सुनवाई प्रभावित करने के वास्ते खालिद सोशल मीडिया पर विमर्श बनाता था: दिल्ली पुलिस |

मामले की सुनवाई प्रभावित करने के वास्ते खालिद सोशल मीडिया पर विमर्श बनाता था: दिल्ली पुलिस

मामले की सुनवाई प्रभावित करने के वास्ते खालिद सोशल मीडिया पर विमर्श बनाता था: दिल्ली पुलिस

:   Modified Date:  April 10, 2024 / 10:21 PM IST, Published Date : April 10, 2024/10:21 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) दिल्ली पुलिस ने बुधवार को यहां की एक अदालत से कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की ‘व्हाट्सएप’ बातचीत से पता चला है कि वह जमानत याचिका की सुनवाई प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया पर विमर्श बनाता था।

खालिद 2020 में उत्तरपूर्व दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश का आरोपी है। उस पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी खालिद की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

अपनी दलीलें समाप्त करते हुए, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कहा, ‘‘व्हाट्सएप पर आवेदक की बातचीत से यह भी पता चला है कि वह जमानत पर सुनवाई को प्रभावित करने के लिए… विभिन्न व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं को सूचीबद्ध करते समय मीडिया और सोशल मीडिया पर विमर्श बनाता रहता था।’’

प्रसाद ने कहा कि न्याय के हित में याचिका खारिज किये जाने योग्य है। उन्होंने कहा, ‘‘आवेदक की जमानत याचिका पर सुनवाई को प्रभावित करने के लिए, सूचीबद्ध किए जाने के दौरान इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, आवेदक के बारे में हैशटैग के साथ एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट के नमूने संलग्न हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे (खालिद और अन्य) दावा करते हैं कि उनका ‘मीडिया ट्रायल’ किया गया, कृपया देखें उसके पिता कैसे मीडिया को साक्षात्कार दे रहे हैं और उनसे जुड़े लोग भी ऐसा ही कर रहे हैं।’’

एसपीपी ने मंगलवार को एक समाचार पोर्टल द्वारा खालिद के पिता के साक्षात्कार का एक वीडियो अदालत में चलाया।

खालिद के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने बुधवार को दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि खालिद के पास से कोई भी आपत्तिजनक सबूत जब्त नहीं किया गया है।

उन्होंने दावा किया कि खालिद की जमानत याचिकाएं खारिज करने वाली दोनों अदालतों दिल्ली उच्च न्यायालय और विशेष अदालत ने कथित अपराधों और इसमें शामिल लोगों के बीच अंतर नहीं किया।

उन्होंने अभियोजन पक्ष द्वारा कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पर भरोसा करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह एक ‘‘मामूली सबूत’’ था।

मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)