नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि देश में “नफरत की राजनीति” को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करने वाले पूर्व नौकरशाहों के पत्र को गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास का माहौल बनाने के लिए लिखा गया था।
मंगलवार को 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने मोदी को पत्र लिखकर देश में “घृणा से भरे विनाश के उन्माद” पर चिंता व्यक्त की थी।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि समूह ने कभी भी महत्वपूर्ण मुद्दों, या मोदी सरकार के कल्याणकारी उपायों जैसे गरीबों को मुफ्त राशन, जन धन खाते खोलने और कोविड के लिए मुफ्त एहतियाती टीके के बारे में नहीं लिखा।
पात्रा ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सकारात्मक शासन के साथ काम कर रही है, जबकि यह समूह नकारात्मकता फैलाना चाहता है।
पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, “इस पत्र के पीछे गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास पैदा करने का एक विशेष एजेंडा है।”
पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उम्मीद जतायी कि वह ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का आह्वान करेंगे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नियंत्रण वाली सरकारों में कथित तौर पर इस पर ‘कठोरता से’ जोर दिया जा रहा है।
पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में कहा, ‘हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान भी है।’
पत्र पर 108 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं और इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टी के ए नायर शामिल हैं।
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प्रशांत उमा
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