लोस चुनाव : भाजपा की तमिलनाडु के लिए महत्वाकांक्षाएं और वर्चस्व बरकरार रखने की परीक्षा |

लोस चुनाव : भाजपा की तमिलनाडु के लिए महत्वाकांक्षाएं और वर्चस्व बरकरार रखने की परीक्षा

लोस चुनाव : भाजपा की तमिलनाडु के लिए महत्वाकांक्षाएं और वर्चस्व बरकरार रखने की परीक्षा

:   Modified Date:  April 18, 2024 / 03:59 PM IST, Published Date : April 18, 2024/3:59 pm IST

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु में द्रविड़ दलों को चुनौती देने वाली ताकत के रूप में उभरने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महत्वाकांक्षा और देश में अपना वर्चस्व बरकरार रखने की प्रतिबद्धता की शुक्रवार को कड़ी परीक्षा होगी जब सात चरण के लोकसभा चुनाव के तहत पहले चरण का मतदान शुरू होगा।

पहले चरण में 102 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के साथ सत्तारूढ़ पार्टी के लिए काफी कुछ दांव पर लगा है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अधिक बहुमत मांग रहे हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) के लिए भी चुनौती कम नहीं है जिसके कई घटक दल अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और 2014 तथा 2019 के चुनावों में हार के बाद वापसी की उम्मीद कर रहे हैं।

एक ओर जहां जे. जयललिता की मौत के बाद मुख्य विपक्षी दल अन्ना द्रमुक संघर्ष कर रहा है तो वहीं भाजपा के जोरदार प्रयासों ने तमिलनाडु में चुनावी मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।

राज्य में सभी 39 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को मतदान होगा। भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पायी थी।

मोदी ने भाजपा का नेतृत्व करते हुए चुनाव की घोषणा से काफी पहले ही राज्य के कई दौरे किए और वहां पर कई रैलियां तथा रोड शो भी कर रहे हैं।

कुछ छोटे दलों को अपने पाले में शामिल करने वाली भाजपा भ्रष्टाचार के अलावा सनातन धर्म के कथित अपमान के लिए सत्तारूढ़ द्रमुक मुन्नेत्र कषगम को सीधी चुनौती देकर उस राज्य की पारंपरिक राजनीति को पलटना चाहती है जो अभी तक हिंदुत्व की राजनीति से उदासीन रहा है।

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राज्य में भाजपा के मत प्रतिशत में बड़ी वृद्धि का अनुमान जताया है जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलई ने दावा किया कि राज्य में उसकी सीटें दोहरे अंकों में आएगी।

यह ऐसा राज्य है जहां भाजपा ने अन्नामलई के प्रतिनिधित्व में अपने क्षेत्रीय नेतृत्व पर काफी भरोसा किया है। राजनीति में आने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से इस्तीफा देने वाले अन्नामलई कोयंबटूर से चुनाव लड़ रहे हैं।

चार जून को जब राज्य में नतीजे आएंगे तो इसका व्यापक असर होगा।

यदि तमिलनाडु में भाजपा की महत्वाकांक्षाओं और अपील की एक परीक्षा है तो पहले चरण में अन्य क्षेत्रों में भी कई और समीकरण बन रहे हैं।

भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 2019 में इन 102 सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी जिनमें राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 12, पांच और तीन सीटें शामिल हैं। उसके मौजूदा सहयोगियों के पास इनमें से सात सीटें हैं।

शुक्रवार को जिन प्रमुख राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है उनमें उत्तर प्रदेश में आठ सीट, मध्य प्रदेश में छह, महाराष्ट्र और असम में पांच-पांच तथा बिहार में चार सीटें शामिल हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राजस्थान में जाटों के एक वर्ग के बीच असंतोष और कुछ नेताओं की बगावत ने राज्य की सभी 25 सीटों को बरकरार रखना राजग के लिए चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

राजस्थान में जिन 12 सीटों पर शुक्रवार को मतदान होगा, उनमें से भाजपा चुरू जैसी सीटों पर कड़े मुकाबले का सामना कर रही है जहां भाजपा से टिकट कटने के बाद निवर्तमान सांसद राहुल कस्वां कांग्रेस उम्मीदवार हैं। नागौर में भी उसके लिए कड़ी चुनौती है जहां उसके पूर्व सहयोगी और मौजूदा सांसद हनुमान बेनीवाल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव अलवर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की नागपुर सीट पर पहले चरण में मतदान होना है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की उधमपुर सीट, किरेन रीजीजू की अरुणाचल पश्चिम और कांग्रेस नेता कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में पहले चरण में मतदान होगा। छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों में कई सीटों के अलावा जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में एक लोकसभा सीट पर भी पहले चरण में मतदान होना है।

भाजपा ने 2019 में उत्तर प्रदेश में अपने प्रतिद्वंद्वियों को करारी शिकस्त दी थी लेकिन पहले चरण में जिन आठ सीटों पर चुनाव होना है उनमें से पांच पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी जो उस वक्त गठबंधन में थी और अब अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं।

भाजपा इस बार जयंत सिंह की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के साथ गठबंधन कर पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर बढ़त हासिल करने की उम्मीद कर रही है जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए हाथ मिला लिया है।

भाषा

गोला मनीषा

मनीषा

 

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