डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने को लेकर मालीवाल ने साधा उपराज्यपाल पर निशाना |

डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने को लेकर मालीवाल ने साधा उपराज्यपाल पर निशाना

डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने को लेकर मालीवाल ने साधा उपराज्यपाल पर निशाना

:   Modified Date:  May 2, 2024 / 08:46 PM IST, Published Date : May 2, 2024/8:46 pm IST

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने आयोग के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल पर निशाना साधा और सवाल किया कि अधिकतर कर्मचारियों को हटाए जाने के बाद यह कैसे काम करेगा।

आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य मालीवाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एलजी (उपराज्यपाल) ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए (डीसीडब्ल्यू के) सभी संविदा कर्मचारियों को हटाने के लिए कहा है। डीसीडब्ल्यू में 90 कर्मचारी हैं, जिनमें से केवल आठ स्थायी हैं और बाकी 82 संविदा कर्मचारी हैं जिन्हें तीन महीने के अनुबंध पर कम वेतन पर काम पर रखा गया था।”

उन्होंने कहा कि यदि सभी संविदा कर्मचारियों को हटा दिया गया तो आठ कर्मचारी आयोग कैसे चलाएंगे?

उन्होंने पूछा कि डीसीडब्ल्यू से मदद मांगने आने वाली सैकड़ों महिलाएं और लड़कियां कहां जाएंगी?

अधिकारियों के अनुसार, यह बर्खास्तगी जून 2017 में एक समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर की गई है।

उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने समिति की सिफारिशों के आधार पर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को प्रस्ताव भेजा, जिनकी मंजूरी के बाद विभाग ने आदेश जारी किया।

नौ वर्ष तक डीसीडब्ल्यू प्रमुख के रूप में कार्य कर चुकीं मालीवाल ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार आयोग की टीम फिलहाल “कानूनी विकल्प का इस्तेमाल” कर रही है, हालांकि आदेश पर अभी अमल नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान संविदा कर्मचारियों का मुद्दा कभी नहीं उठा।

मालीवाल ने सवाल किया, “क्या यही उनकी राजनीति है कि बलात्कारी खुलेआम घूमेंगे और महिला आयोग बंद हो जाएगा। ऐसे संकीर्ण और नकारात्मक दृष्टिकोण से एलजी को क्या हासिल होगा?”

मालीवाल के आरोपों पर उपराज्यपाल कार्यालय से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

उन्होंने यह दावा भी किया कि डीसीडब्ल्यू मणिपुर की घटना और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों की शिकायतों जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने वाली पहली महिला संस्था है।

राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘अगर वे मुझसे नाराज हैं तो वे सभी एजेंसियों को मेरे पीछे लगाकर मुझे जेल में डाल सकते हैं।’

उन्होंने कहा कि डीसीडब्ल्यू ने पिछले कुछ वर्षों में अद्भुत काम किया है और ‘यह सब स्वाति मालीवाल ने अकेले नहीं किया है। यह एक टीम का काम है, जिसमें तेजाब हमले, बलात्कार और घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं शामिल रही हैं, जो महिलाओं की मदद करके अपने दुखों से उभर रही हैं।”

उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर कुछ प्रभावित डीसीडब्ल्यू कर्मचारियों के वीडियो भी पोस्ट किए, जिनमें तेजाब हमले की शिकार मोहिनी भी शामिल थीं। मोहिनी ने कहा, “मेरे इलाज में देरी हो या न हो, लेकिन मुझे पैसे कमाने के लिए एक पेशे की जरूरत है ताकि मैं स्वतंत्र हो सकूं।”

तेजाब हमले की शिकार एक और महिला शबनम ने वीडियो में बताया कि 2011 में उन पर हमला हुआ था और उनका इलाज कश्मीर में हो रहा था। बाद में वह सर्जरी के लिए दिल्ली आईं और उन्हें डीसीडब्ल्यू की महिला पंचायत में नौकरी मिल गई, जहां वह पिछले छह साल से काम कर रही थीं।

मालीवाल ने दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान डीसीडब्ल्यू ने 1.7 लाख मामलों का निपटारा किया, जबकि आयोग की हेल्पलाइन 181 पर 40 लाख कॉल आईं।

भाषा जोहेब अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)