भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 69वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए पद्मावत को लेकर जारी विवाद और हिंसा के बीच राष्ट्रपति ने असहमति के समय उदारता दिखाने की बात कही।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मुहल्ले-गांव और शहर के स्तर पर सजग रहने वाले नागरिकों से ही, एक सजग राष्ट्र बनता है। हम सदैव अपने पड़ोसी के निजी मामलों और अधिकारों का सम्मान करते हैं। त्योहार मनाते हुए, विरोध करते हुए या किसी और मौक पर, हम अपने पड़ोसी की सुविधा का ध्यान रखते हैं। किसी दूसरे नागरिक की गरिमा और निजी भावना को दरकिनार किए बिना, किसी के नजरिये से या इतिहास की किसी घटना के बारे में भी, हम असहमत हो सकते हैं। ऐसे उदारतापूर्ण व्यवहार को ही, भाईचारा कहते हैं।
A civic-minded nation is built by civic-minded neighbourhoods,whether in our cities or our villages.Where we respect the next- door person’s space, privacy and rights. Where we don’t inconvenience neighbours-while celebrating festival or while resorting to a protest:Pres Kovind pic.twitter.com/KaX601dqOf
— ANI (@ANI) January 25, 2018
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी, 1950 के दिन भारत को एक गणतंत्र के रूप में पहचान मिली। हमारे राष्ट्र निर्माण की यात्रा में, यह दूसरा बेहद महत्त्वपूर्ण पड़ाव था। हमें आजादी हासिल किये हुए, लगभग ढाई साल ही बीता था। हमने संविधान के निर्माण में उसे लागू करने में और भारत गणराज्य की स्थापना करने के साथ ही, वास्तव में सभी नागरिकों के बीच बराबरी’ का आदर्श स्थापित किया है, चाहे वह किसी भी धर्म, क्षेत्र या समुदाय का क्यों न हों। समता या बराबरी के इस आदर्श से ही हम आजादी के साथ प्राप्त हुई स्वतंत्रता के आदर्श को प्राप्त कर सके।
It was with the framing and adoption of the Constitution – and the birth of the Republic of India – that we truly achieved the ethic of equality among all citizens, irrespective of religion, region or community: President Ram Nath Kovind
— ANI (@ANI) January 25, 2018
महामहिम ने कहा, जैसा कि हम जानते हैं, हमारी आजादी, हमें कड़े संघर्ष के बाद मिली थी। इस संग्राम में, लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और उन्हे शहीद कहलाने का गर्व मिला। उन स्वतंत्रता सेनानियों ने, देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर किया। आजादी के सपने से पूरी तरह प्रेरित हो कर, महात्मा गाँधी के नेतृत्व में, ये महान सेनानी, मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करके संतुष्ट हो सकते थे लेकिन उनका लक्ष्य उन्हे प्राप्त हो चुका था। लेकिन इसे हासिल करने के बाद भी उन्होंने पल भर भी आराम नहीं किया। वे रुके नहीं, बल्कि अधिक उत्साह के साथ, संविधान बनाने के महत्त्वपूर्ण कार्य में जुट गए। उनकी नजर में, हमारा संविधान, हमारे नए राष्ट्र के लिए केवल एक बुनियादी कानून नहीं था, बल्कि वह सामाजिक बदलाव का एक दस्तावेज भी था।
This is a day to remember with gratitude the enormous efforts and sacrifices of millions of freedom fighters whose blood and sweat gave us Independence and created our Republic. Above all, this is a day to cherish our republican values: President Ram Nath Kovind #RepublicDay pic.twitter.com/fMdTyjCn1i
— ANI (@ANI) January 25, 2018
राष्ट्रपति ने इनोवेशन पर जोर देते हुए कहा कि इनोवेटिव बच्चे ही एक इनोवेटिव राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें जुनून के साथ जुटना होगा। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर कहा कि रटकर याद करने और सुनाने के बजाय, बच्चों को सोचने और तरह-तरह के प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा, जिस तरह से मां बच्चों के पेट भरने के लिए परेशान रहती है उसी तरह हमारे देश के किसान अन्न उपजाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हम सबका सपना एक ही है कि भारत एक विकसित देश बने। उस सपने को पूरा करने के लिए हम आगे भी बढ़ रहे हैं। हमारे युवा अपनी कल्पना, आकांक्षा और आदर्शों के बल पर देश को आगे ले जाएंगे।
वेब डेस्क, IBC24
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