छेड़छाड़ मामला: राजभवन की महिला कर्मचारी न्याय के लिए राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखेगी |

छेड़छाड़ मामला: राजभवन की महिला कर्मचारी न्याय के लिए राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखेगी

छेड़छाड़ मामला: राजभवन की महिला कर्मचारी न्याय के लिए राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखेगी

:   Modified Date:  May 10, 2024 / 04:10 PM IST, Published Date : May 10, 2024/4:10 pm IST

कोलकाता, 10 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला कर्मचारी के साथ छेड़छाड़ के आरोपों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस द्वारा कई सीसीटीवी फुटेज दिखाये जाने की घटना के एक दिन बाद शिकायतकर्ता महिला ने शुक्रवार को कहा कि वह इस मामले में राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग करेगी।

कर्मचारी ने असंपादित फुटेज को सार्वजनिक रूप से दिखाए जाने पर आपत्ति जताई, जिसमें कथित तौर पर उसकी पहचान का खुलासा किया गया था, क्योंकि फुटेज में उसका चेहरा धुंधला नहीं किया गया था।

कर्मचारी ने कहा कि वह कोलकाता पुलिस से ज्यादा उम्मीद नहीं रख सकती, जिसके हाथ राज्यपाल बोस को प्राप्त संवैधानिक छूट के कारण बंधे हुए हैं। कथित पीड़िता ने कहा कि वह गंभीर अवसाद से गुजर रही है और उसे लगा कि राष्ट्रपति को पत्र लिखना ही न्याय हासिल करने एकमात्र तरीका है।

कथित पीड़िता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैं जानती हूं कि संवैधानिक छूट के कारण राज्यपाल को कुछ नहीं होगा, लेकिन उन्होंने जो अपराध किया है उसका क्या? मैंने इस मामले में हस्तक्षेप के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखने का फैसला किया है। मैं उन्हें न्याय के लिए पत्र लिख रही हूं, कुछ और नहीं।’

फुटेज को पीड़िता की पहचान छुपाए बिना दिखाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पीड़िता ने कहा कि वह प्रतिकार के लिए पुलिस का भी दरवाजा खटखटाएगी।

कथित पीड़िता ने कहा कि दो मई की सीसीटीवी फुटेज का प्रदर्शन ‘अपमानजनक’ था। उसने जांच प्रक्रिया के दौरान राज्यपाल द्वारा सहयोग न किये जाने पर अफसोस जताते हुए अपनी निजता और गोपनीयता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

शिकायतकर्ता ने कहा, ‘‘राज्यपाल ने मेरी अनुमति के बिना मेरे फुटेज कैसे दिखाए? उन्होंने आज एक और अपराध किया है।’

कोलकाता पुलिस ने पहले पुष्टि की थी कि वह पूर्ण जांच के बजाय ‘पड़ताल’ करेगी, क्योंकि पूर्ण जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता होती है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 361 के उपबंध-दो के तहत राज्यपाल को किसी भी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही का सामना करने से छूट प्राप्त है।

राजभवन की संविदा महिला कर्मचारी ने शुक्रवार को कोलकाता पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि बोस ने 24 अप्रैल और दो मई को राजभवन में उसके साथ छेड़छाड़ की थी।

कथित पीड़िता ने राज्यपाल पर अपने कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए ‘हास्यास्पद नाटक’ रचने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें जांच की शुरुआत में ही पुलिस को फुटेज उपलब्ध कराना चाहिए था।

उसने कहा, ‘‘राज्यपाल ने एक घृणित कार्य किया और फिर उन्होंने अपनी गलती छुपाने के लिए एक हास्यास्पद नाटक रचा। उन्होंने फुटेज जारी करने से पहले कभी भी मेरी अनुमति नहीं ली। यह हमारे कानूनों का उल्लंघन है, क्योंकि मेरी पहचान गोपनीय रखी जानी चाहिए थी।’

दो मई को शाम 5.32 बजे से शाम 6.41 बजे तक मुख्य (उत्तरी) गेट पर लगे दो सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में राजभवन के भूतल पर सेंट्रल मार्बल हॉल में चुनिंदा लोग और पत्रकार दिखाई दिए।

पहले फुटेज में जीन्स और टॉप पहने महिला कर्मचारी को राजभवन के भीतर स्थित पुलिस चौकी की ओर भागते देखा गया, उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्धारित यात्रा के लिए परिसर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे।

लगभग 10 मिनट के दूसरे फुटेज में राजभवन के उत्तरी द्वार पर अग्निशमन गाड़ियां सहित विभिन्न वाहन और पुलिसकर्मी अपनी नियमित ड्यूटी के लिए कतार में खड़े दिखाई दे रहे थे, हालांकि कथित पीड़िता को इस फुटेज में देखा नहीं जा सका।

भाषा

योगेश सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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