नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के संबंध में निगरानी समिति राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) के सभी कार्यों और शक्तियों का उस समय तक निर्वहन करेगी जब तक कि बांध सुरक्षा कानून, 2021 के तहत नियमित राष्ट्रीय प्राधिकरण काम नहीं करने लगे।
न्यायालय ने कहा कि मौजूदा निगरानी समिति को मजबूत बनाने के लिए दो तकनीकी विशेषज्ञ सदस्यों को इसमें शामिल किया जाए। विशेषज्ञ सदस्यों में से एक एक सदस्य केरल और तमिलनाडु से होंगे। समिति का गठन सर्वोच्च अदालत ने ही पहले किया था।
न्यायमूर्ति ए. एम़ खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब तक नियमित एनडीएसए काम नहीं करने लगता, तब तक निगरानी समिति बांध की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के लिए जवाबदेह होगी।
पीठ ने कहा कि पुनर्गठित निगरानी समिति मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा से जुड़े सभी लंबित मामलों पर फैसला करेगी और नए सिरे से सुरक्षा समीक्षा करेगी।
पीठ ने कहा कि समिति इस उद्देश्य के लिए 2021 के कानून के प्रावधानों के अनुसार संदर्भ की शर्तें तय कर सकती है।
शीर्ष न्यायालय मुल्लापेरियार बांध से जुड़े मुद्दों वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। मुल्लापेरियार बांध को 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था।
पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह समिति को सभी प्रकार की सहायता मुहैया कराए जिससे समिति अपने कार्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सके।
पीठ ने कहा कि राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए पूरा सहयोग करना चाहिए कि बांध के रखरखाव और इसकी सुरक्षा के लिए निगरानी समिति द्वारा दिए गए निर्देशों का निर्धारित समय के भीतर पालन हो।
पीठ ने कहा, “ऐसा नहीं करने पर इस अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए उचित कार्रवाई की जा सकती है, साथ ही सभी संबंधितों पक्षों पर 2021 के कानून के तहत भी कार्यवाही की जा सकती है।’’
भाषा अविनाश मनीषा
मनीषा
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