कोझिकोड (केरल), 14 मई (भाषा) केरल के मलाप्पुरम जिले में एक लड़की को मंच पर बुलाने के खिलाफ कुछ दिन पहले मुस्लिम बुद्धिजीवी द्वारा की गई कथित टिप्पणी को लेकर विवाद हो गया। हालांकि, समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा ने शनिवार को कथित टिप्पणी करने वाले बुद्धिजीवी का समर्थन किया।
संगठन ने कहा कि यह छात्रा को किसी असहजता से बचाने के लिए किया गया था, जो मंच पर जाने से संकोच कर रही थी और वहां पर लोग जमा थे।
समस्त के अध्यक्ष जाफरी मुतुक्कोया थंगल ने 10 कक्षा की इस छात्रा का कार्यक्रम के दौरान ‘‘अपमान’’ करने के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि न तो लड़की ने और न ही उसके परिवार ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। थंगल ने रेखांकित किया कि विद्वत निकाय कुछ विश्वासों और निर्णयों को मानता है जिन्हें बदला नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि यहां तक इस संदर्भ में ‘‘अपमान’’शब्द का इस्तेमाल गलत है। थंगल ने कहा कि समस्त (ऑल केरल उलेमा एसोसिएशन) में पुरुषों और महिलाओं के मंच साझा करने की परंपरा नहीं रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ लड़की का (कार्यक्रम के दौरान) चेहरा देखने के बाद ‘स्कॉलर’ ने महसूस किया कि वह उस मंच पर आने को लेकर संकोच महसूस कर रही, जहां पर उस्ताद बैठे हैं। उन्होंने सोचा कि अन्य लड़कियों में भी इसी तरह का भय होगा अगर उन्हें मंच पर बुलाया जाता है। इसलिए उन्होंने आयोजकों से कहा कि लड़कियों को मंच पर नहीं बुलाए।’’
गौरतलब है कि यह घटना मलाप्पुरम में मदरसा की इमारत के उद्घाटन के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई थी जहां पर विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया था।
इस कार्यक्रम में लड़की को स्मृति चिह्न इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईएमयूएल) नेता पनक्कड सैयद अब्बास अली शिहाब थंगल ने दिया था। इसके बाद एमटी अब्दुल्ला मुसलियार ने आयोजकों से सवाल किया था कि लड़की को क्यों मंच पर आमंत्रित किया गया।
राजनीतिक दलों, समाज के विभिन्न हिस्सों के लोगों और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विधायक मुसलियार की टिप्पणी की निंदा की है।
भाषा धीरज उमा
उमा
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