नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ठोस और द्रव अपशिष्ट का शोधन करने में विफल रहने पर तेलंगाना सरकार पर 3,800 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि दक्षिणी राज्य में ठोस और द्रव अपशिष्ट के प्रबंधन में बहुत फासला है।
न्यायमूर्ति गोयल, न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्यों ए. सेंथिल वेल एवं अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि अतीत के उल्लंघनों को लेकर राज्य की जवाबदेही ‘जो प्रदूषण फैलाएगा, वो भरपाई करेगा’ सिद्धांत से तय होगी और क्षतिपूर्ति राशि का उपयोग पर्यावरण को बहाल करने के लिए किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि स्वच्छ हवा, पानी, स्वच्छता एवं स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करना सुशासन के लिए शीर्ष प्राथमिकता हो तथा राज्य प्रदूषणमुक्त पर्यावरण प्रदान करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।
पीठ ने कहा कि तेलंगाना द्वारा भुगतान की जाने वाली कुल पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि का आकलन करने पर यह सामने आया कि द्रव या जलमल प्रबंधन में अंतर की राशि 3,648 करोड़ रुपये है तथा वैज्ञानिक ढंग से ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन में राज्य की विफलता के लिए क्षतिपूर्ति राशि 177 करोड़ रूपये की है।
पीठ ने कहा कि कुल क्षतिपूर्ति राशि 3,825 करोड़ रुपये या 3800 करोड़ रुपये होती है जिसे दो महीने में तेलंगाना सरकार जमा करेगी एवं उसका उपयोग पर्यावरण को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए मुख्य सचिव के निर्देशानुसार किया जाए।
भाषा राजकुमार अविनाश
अविनाश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
केरल की सभी लोकसभा सीटों पर सुबह 10.20 बजे तक…
60 mins agoखबर चुनाव बंगाल मोदी तीन
1 hour agoखबर चुनाव बंगाल मोदी दो
1 hour ago26 अप्रैल: सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना
1 hour ago