एनजीटी ने मणिपुर के वन क्षेत्र में ‘भारी कमी’ को लेकर अधिकारियों से जवाब मांगा |

एनजीटी ने मणिपुर के वन क्षेत्र में ‘भारी कमी’ को लेकर अधिकारियों से जवाब मांगा

एनजीटी ने मणिपुर के वन क्षेत्र में ‘भारी कमी’ को लेकर अधिकारियों से जवाब मांगा

:   Modified Date:  May 14, 2024 / 10:31 PM IST, Published Date : May 14, 2024/10:31 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मणिपुर के वन क्षेत्र में ‘‘भारी कमी’’ के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय से जवाब मांगा है।

एनजीटी ने मीडिया में प्रसारित एक समाचार का संज्ञान लिया है, जिसमें सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की पोस्ट का जिक्र किया गया है। एनजीटी ने इस संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय से जवाब मांगा।

समाचार में मंत्री को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि राज्य का वन क्षेत्र 1987 के 17,475 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) से घटकर 2021 में 16,598 वर्ग किलोमीटर रह गया है यानी वन क्षेत्र में 877 वर्ग किलोमीटर की कमी देखी गई है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने इस समाचार पर गौर किया, जिसके अनुसार वन क्षेत्र में कमी का मुख्य कारण वनों की कटाई और अफीम की खेती को बताया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह समाचार पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाता है।’’

पीठ ने इस बात को रेखांकित किया कि यह खबर राज्य के वन क्षेत्र में ‘‘भारी कमी’’ से संबंधित है।

हरित पैनल ने मंत्रालय के शिलांग एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय (आईआरओ) और भारतीय वन सर्वेक्षण के क्षेत्रीय निदेशक, कोलकाता को मामले में पक्षकारों के रूप में शामिल किया है।

अधिकरण ने नौ मई के एक आदेश में कहा, ‘‘उपरोक्त प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तारीख (31 जुलाई) से कम से कम एक सप्ताह पहले जवाब दाखिल करने के लिए कहा जाए।’’

इसमें कहा गया है कि इस मामले को देश भर में वन भूमि के नुकसान के लंबित बड़े मामले के साथ संलग्न किया जाना चाहिए।

भाषा सिम्मी दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)