पोस्त भूसे में मॉर्फिन मिलने पर अपराध साबित करने के लिए किसी अन्य जांच की जरूरत नहीं : न्यायालय

पोस्त भूसे में मॉर्फिन मिलने पर अपराध साबित करने के लिए किसी अन्य जांच की जरूरत नहीं : न्यायालय

पोस्त भूसे में मॉर्फिन मिलने पर अपराध साबित करने के लिए किसी अन्य जांच की जरूरत नहीं : न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 pm IST
Published Date: October 20, 2022 10:52 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर एक बार स्थापित हो जाता है कि जब्त किए गए पोस्त भूसे (खसखस) में मॉर्फिन और मेकोनिक एसिड हैं, तो स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ कानून के तहत आरोपी के अपराध को स्थापित करने के लिए किसी अन्य परीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ विभिन्न सवालों पर गौर करते हुए यह आदेश दिया। इन सवालों में यह भी शामिल है कि क्या बरामद प्रतिबंधित मादक पदार्थों की प्रजातियों – पोस्ता भूसी आदि को विशेष रूप से निर्दिष्ट करना आवश्यक है।

पीठ ने गौर किया कि इन सवालों के जवाब का स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ कानून के तहत कई मामलों पर असर पड़ता है।

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पीठ ने कहा कि 1985 के कानून का प्रमुख मकसद नशीली दवाओं और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे पर काबू पाना था और इस प्रकार यांत्रिक दृष्टिकोण अपनाने के बदले कानून के मकसद को आगे बढ़ाने वाली व्याख्या को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

न्यायालय ने पूर्व के कानूनों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों और वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि अफीम के उत्पादन के लिए ‘पैपावर सोम्निफरम एल’ पौधा मुख्य स्रोत है और अध्ययनों ने स्थापित किया है कि इस पौधे में मॉर्फिन और मेकोनिक एसिड होते हैं।

पीठ ने 74 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, ‘दूसरे शब्दों में, जब एक बार यह स्थापित हो जाता है कि जब्त पोस्त भूसे में मॉर्फिन और मेकोनिक एसिड है, तो 1985 के कानून की धारा 15 के प्रावधानों के तहत किसी आरोपी के अपराध को साबित करने के लिए कोई अन्य परीक्षण आवश्यक नहीं होगा।’’

पीठ हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के नवंबर 2007 के एक फैसले को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा मादक पदार्थ से जुड़े मामले में एक आरोपी को दोषी ठहराए जाने और 10 साल की सजा को रद् कर दिया था।

भाषा अविनाश पवनेश

पवनेश


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