वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीतियां व्यवस्थित तरीके से लागू नहीं करना समस्या बनाये हुए है:विशेषज्ञ |

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीतियां व्यवस्थित तरीके से लागू नहीं करना समस्या बनाये हुए है:विशेषज्ञ

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीतियां व्यवस्थित तरीके से लागू नहीं करना समस्या बनाये हुए है:विशेषज्ञ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : March 23, 2022/8:35 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) दिल्ली को लगातार चौथे साल 2021 में विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित राजधानी घोषित किया गया है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे ‘एयरशेड’ में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए योजनाओं को व्यवस्थित तरीके से लागू नहीं कर पाना समस्या को जारी रखे हुए है।

एयरशेड वह पूरा क्षेत्र है, जहां मौसमी एवं भोगौलिक कारकों के चलते प्रदूषकों का बिखराव हो जाता है।

स्विस फर्म ‘आईक्यूएयर’ द्वारा जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली लगातार चौथे साल 2021 में विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित राजधानी रही। साल 2021 में इससे एक साल पहले की तुलना में प्रदूषण करीब 15 प्रतिशत बढ़ गया।

राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर (96.4 माइक्रोगाम प्रति घन मीटर) है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से 20 गुना अधिक है।

‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ के सुनील दहिया ने कहा कि इन वर्षों में दिल्ली वायु गुणवत्ता को बेहतर करने में क्यों नहीं सक्षम रहा, उसका कारण उत्सर्जन भार में कमी लाने को लक्षित एक व्यवस्थित और व्यापक नीति के क्रियान्वयन का अभाव है।

उन्होंने कहा कि एक समय लंदन और बीजिंग, दिल्ली से कहीं अधिक प्रदूषित थे लेकिन उन्होंने नीतियों के व्यवस्थित एवं समन्वित क्रियान्वयन से वायु गुणवत्ता को बेहतर किया।

दहिया ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में, हमारे पास कई नीतियां एवं एजेंसी हैं। प्रदूषण से जुड़े मामलों के लिए अदालतें हैं और दिल्ली सरकार भी कोशिश कर रही है। लेकिन एयरशेड को ध्यान में रखते हुए बहुत कम कार्य किया गया है। यही कारण है कि जीवाश्म ईंधन के दहन से होने वाला संपूर्ण उत्सर्जन भार नहीं घटा है।

‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरन्मेंट एंड वाटर’ में रिसर्च फेलो कार्तिक गणेशन ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी उद्योगों को अभी पीएनजी में तब्दील करना बाकी है।

‘इंटरनेशनल फोरम फॉर एन्वायरन्मेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी’ के सीईओ चंद्र भूषण ने कहा कि समस्या यह है कि प्राधिकारों ने भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बहुत सामान्यीकृत रुख अपना रखा है।

भाषा

सुभाष दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)