केवल 25.9 प्रतिशत एसटी परिवारों के पास बेहतर, निजी स्वच्छता सुविधाएं : अध्ययन | Only 25.9 per cent st households have better, private sanitation facilities: Study

केवल 25.9 प्रतिशत एसटी परिवारों के पास बेहतर, निजी स्वच्छता सुविधाएं : अध्ययन

केवल 25.9 प्रतिशत एसटी परिवारों के पास बेहतर, निजी स्वच्छता सुविधाएं : अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : July 20, 2021/5:11 am IST

नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) सामान्य श्रेणी में आने वाले करीब 66 प्रतिशत परिवारों की बेहतर और दूसरों से साझा नहीं किए जाने वाले निजी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच हैं जबकि सिर्फ 25.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों के पास बेहतर, निजी स्वच्छता सुविधाएं हैं। एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

ऑक्सफैम की ‘इंडिया इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2021’ के अनुसार करीब 50 प्रतिशत अनुसूचति जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों को सामान्य श्रेणी के 18.2 प्रतिशत परिवारों की तुलना में गैर-कोविड चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आंकड़ों से पता चलता है कि सामान्य श्रेणी के 65.7 प्रतिशत परिवारों की बेहतर, निजी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच है जबकि केवल 25.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों ने निजी स्वच्छता सुविधाओं के मामले में सुधार किया है।’’

रिपोर्ट में यह भी पता चला कि सामान्य श्रेणी के परिवारों की तुलना में अनुसूचित जाति के 12.6 प्रतिशत से अधिक परिवारों में बच्चों का विकास ठीक तरीके से नहीं हुआ।

यह रिपोर्ट देश में विद्यमान स्वास्थ्य असमानता के स्तर को मापने के लिए विभिन्न सामाजिक आर्थिक समूहों में स्वास्थ्य परिणामों का विश्लेषण करती है। इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कोविड-19 महामारी ने इन असमानताओं को और बढ़ा दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार विशेषकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के मामले में हिंदू परिवार मुस्लिम परिवारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। कम आय वालों को कोविड-19 से संक्रमित होने पर अन्य की तुलना में समुदाय में पांच गुना अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 18.2 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 33.9 प्रतिशत महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान चिंता, चिड़चिड़ापन, क्रोध और नींद की कमी का अनुभव किया। इसमें यह भी कहा गया है कि बालकों की तुलना में बालिकाओं का टीकाकरण कम रहा और ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण अधिक हुआ। इसके अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदाय में टीकाकरण अन्य की तुलना में कम रहा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन राज्यों में असमानताओं को कम करने और स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक खर्च किया, वहां संक्रमण के मामले कम आए। इसके अनुसार, ‘‘स्वास्थ्य पर अधिक खर्च वाले राज्यों में कोविड-19 से ठीक होने की दर भी अधिक थी।”

भाषा

सुरभि शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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