नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पूसा बायो-डीकंपोजर के विज्ञापनों पर 15.8 करोड़ रुपये और पराली को खाद में बदलने वाले रसायन पर 40,000 रुपये खर्च किए हैं। यह जानकारी विधानसभा को इस सप्ताह दी गई।
दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक ओपी शर्मा के सवाल के लिखित जवाब में कहा कि उसने किसानों के बीच पराली जलाने को लेकर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों पर 4,69,000 रुपये खर्च किए हैं।
दिल्ली विधानसभा का सत्र शुक्रवार को संपन्न हुआ।
सर्दियों के पिछले मौसम में, दिल्ली सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के गांवों के खेतों में मुफ्त में पूसा बायो-डीकंपोजर का छिड़काव सुनिश्चित किया था।
डीआईपी ने कहा, ‘‘यह आवश्यक था कि इस तकनीक (बायो-डीकंपोजर) की जानकारी उन सभी राज्यों के किसानों तक पहुंचे जहां से बड़ी मात्रा में धुआं निकलता है। क्योंकि दिल्ली के पड़ोसी राज्य इस धुएं का मुख्य स्रोत हैं।’’ उसने कहा, ‘‘ लोगों की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार ने 15,80,36,828 रुपये खर्च कर इस नई तकनीक के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विज्ञापन जारी किया।’’
उसने कहा कि पराली को खाद में बदलने के लिए रसायन की खरीद पर 40,000 रुपये की राशि खर्च की गई थी। डीआईपी ने कहा कि पूसा संस्थान और सरकार के अधिकारियों ने एक विशेष शिविर में लगभग 1,400-1,500 किसानों को पराली को खाद में बदलने के लिए प्रशिक्षित किया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पराली जलाने से निपटने के लिए बायो-डीकंपोजर एक सफल तकनीक है और केंद्र और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से इसे अपनाने का अनुरोध किया था।
भाषा
देवेंद्र उमा
उमा
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