पंचायत चुनाव: नंदीग्राम को सता रहा हिंसक अतीत का डर |

पंचायत चुनाव: नंदीग्राम को सता रहा हिंसक अतीत का डर

पंचायत चुनाव: नंदीग्राम को सता रहा हिंसक अतीत का डर

:   Modified Date:  July 7, 2023 / 05:15 PM IST, Published Date : July 7, 2023/5:15 pm IST

(प्रदीप्त तापदार)

नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल), सात जुलाई (भाषा) पूर्व में उथल-पुथल का शिकार रहा ‘नंदीग्राम’ क्षेत्र एक बार फिर खौफ और आशंकाओं से घिरा है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों से पहले की झड़पों ने वर्ष 2007 के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान प्रभावित लोगों के गहरे घावों को हरा कर दिया है।

पंचायत चुनाव आठ जुलाई को होने हैं, लेकिन पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम के निवासी खौफ के साये में जी रहे हैं।

नंदीग्राम में पूर्व के वर्षों की अपेक्षा ‘अधिक शांतिपूर्ण’ पंचायत चुनाव प्रक्रिया के बावजूद स्थानीय लोगों को पिछले अनुभवों के आधार पर चुनाव के दिन संभावित हिंसा की आशंका है।

नंदीग्राम के एक वरिष्ठ नेता अशोक गुरिया को लगता है कि हिंसा की घटनाएं भले ही कम हों, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और भारतीय जनता पार्टी के बीच संघर्ष के कारण प्रतिद्वंद्वियों के बीच तनाव मौजूद है। दोनों ही दल अपना दबदबा कायम करने की कोशिश में हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पूर्व नेता और फिलहाल कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रहे गुरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हालांकि इस साल नंदीग्राम में चुनाव प्रक्रिया वर्ष 2013 और 2018 की तुलना में अधिक शांतिपूर्ण है, लेकिन स्थानीय लोगों के बीच अब भी डर का माहौल है।’’

भाजपा के एक उम्मीदवार के पिता राबिन पाल ने कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन इस बात को लेकर अब भी आशंका बनी हुई है कि मतदान का दिन शांतिपूर्वक बीतेगा या नहीं।

भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में अपने परिवार के दो सदस्यों को गंवाने वाले पाल ने कहा, ‘‘नंदीग्राम में अब तक चुनाव प्रक्रिया राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले शांतिपूर्ण रही है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस यहां मुश्किल स्थिति में है। हम केवल प्रार्थना करते हैं कि मतदान का दिन भी शांतिपूर्वक गुजर जाए।’’

भाजपा के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी जहां मजबूत स्थिति में है वहां देसी बम फेंके जा रहे हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने आरोपों को खारिज किया है।

पिछले कुछ दिनों में कई क्षेत्रों से कई देसी बम बरामद किये गये हैं। नंदीग्राम एक समय ‘केमिकल हब’ की स्थापना के लिए किये जा रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ खूनी आंदोलन का केंद्र बन गया था, लेकिन वर्ष 2007 में यह सुर्खियों में तब आया जब तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए मैदान में उतरीं।

एक दशक की लंबी शांति के बाद, सोया हुआ गांव फिर से सुर्खियों में आ गया जब शुभेंदु अधिकारी ने वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को चुनौती दी। बनर्जी को अपने प्रतिद्वंद्वी से मामूली अंतर से हार का समाना करना पड़ा।

साबुज मैती का घर वर्ष 2007 के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान दो बार आग के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2021 में भी विधानसभा चुनाव में हिंसा के दौरान मैती का घर फूंक दिया गया। लेकिन मैती ने इस बार किसी भी राजनीतिक रैली या कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।

मैती (49) ने कहा, ‘‘शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने (2020 में) के बाद से इलाके में छिटपुट हिंसा बढ़ गई है। तृणमूल कांग्रेस बागियों के भी शामिल होने से अब स्थिति और खराब हो गई है।”

ग्रामीणों को उम्मीद है कि जो भी ग्रामीण चुनाव जीतेगा वह शांति की वापसी सुनिश्चित करेगा।

एक ग्रामीण मनोज दास ने कहा, ‘‘चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले हिंसा की घटनाए हुई थीं। लेकिन चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से इलाके में काफी शांति है। हमें उम्मीद है कि जो भी चुनाव जीतेगा वह इलाके में स्थायी शांति सुनिश्चित करेगा।’’

नंदीग्राम पूर्व मेदिनीपुर जिला परिषद के तहत आता है और तृणमूल ने वर्ष 2008 में इसे वाममोर्चा से छीना था। तब से यहां तृणमूल को हार का सामना नहीं करना पड़ा है।

इस क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस ने वर्ष 2013 और 2018 का पंचायत चुनाव बड़े अंतर से जीता था।

भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के वरिष्ठ नेता और विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले स्वदेश अधिकारी को लगता है कि नंदीग्राम में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी पार्टी और भाजपा के बीच ना होकर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और उसके प्रतिद्वंद्वियों के बीच होगा।

गोकुलपुर, गोकुलनगर, गोपी मोहनपुर और हेरिया गांव भले ही भाजपा के गढ़ बन गए हैं, लेकिन सोनाचुरा, हरिपुर, खेजुरी, बृंदाबन चक, दाउदपुर और तेखाली का भरोसा तृणमूल कांग्रेस पर बरकरार है।

वरिष्ठ तृणमूल कांग्रेस नेता और पूर्व मेदिनीपुर जिला परिषद के उपाध्यक्ष शेख सूफियान ने आरोप लगाया कि भाजपा अपनी हार को भांपकर शांतिपूर्ण माहौल को ‘बिगाड़ने की कोशिश’ कर रही है। लेकिन स्थानीय नेता गौर हरि मैती ने इन आरोपों को आधारहीन करार दिया है।

भाषा संतोष पवनेश

पवनेश

 

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