पुणे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों को बेहतरी के लिए सरकार के सामने ‘मदद के लिए हाथ फैलाने‘ की बजाय उन्हें अपने पूर्व छात्रों के संगठनों की मदद लेनी चाहिए। जावड़ेकर ज्ञान प्रबोधिनी स्कूल के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। जावड़ेकर ने कहा, ‘पूरे विश्व में, शैक्षणिक संस्थानों को कौन चलाता है, पूर्व छात्र चलाते हैं। विश्वभर में विश्वविद्यालय कौन चलाते हैं, पूर्व छात्र जो अपने-अपने क्षेत्र में उम्दा साबित हुए हैं।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, ‘ऐसे छात्र अपने शैक्षणिक संस्थानों के लिए वापस कुछ करते हैं। …ज्ञान प्रबोधिनी इस तरह के नजरिए को कई सालों से अपने छात्रों में विकसित कर रहा है और अपने पूर्व छात्रों के योगदान की वजह से संस्थान पिछले 50 सालों से सफलतापूर्वक चल रहा है’।
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जावड़ेकर ने कहा कि कुछ स्कूल हैं जो मदद के लिए बार-बार हाथ फैलाते हुए सरकार के पास चले आते हैं, जबकि असल मदद (पूर्व छात्र) उनके भीतर ही मौजूद हैं। उन्होंने इस मौके पर उनके मंत्रालय द्वारा स्कूल बस्तों का 50 प्रतिशत बोझ कम करने के प्रयासों के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा कि ‘आज सातवीं कक्षा का छात्र चौथी क्लास के गणित के सवालों को हल नहीं कर सकता। उन्होंने इसे बेहद दुखद स्थिति बताते हुए कहा कि हमने पिछले साल राष्ट्रीय मूल्यांकन सर्वे शुरू किया जिसके तहत कक्षा तीन, पांच, आठ और 10 के छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन किया गया।
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जावड़ेकर ने कहा कि हमने एक जिलास्तरीय दस्तावेज तैयार किया और इसे स्थानीय सांसदों के साथ साझा किया, जिससे वे अपने क्षेत्र की स्थितियों के बारे में जान सकें। हालांकि सरकार की ओर से किया गया इस तरह का काम पर्याप्त नहीं है, पूरे समाज को इसके लिए साथ आना होगा ताकि स्थितियों में सुधार आ सके’।
वेब डेस्क, IBC24