क्षेत्र ने बांटा, मकसद ने जोड़ा : भारत यात्रियों ने रखी अपनी बात |

क्षेत्र ने बांटा, मकसद ने जोड़ा : भारत यात्रियों ने रखी अपनी बात

क्षेत्र ने बांटा, मकसद ने जोड़ा : भारत यात्रियों ने रखी अपनी बात

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : October 10, 2022/8:07 pm IST

(संजीव चोपड़ा)

मांड्या/तुमकुर (कर्नाटक), 10 अक्टूबर (भाषा) ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का हिस्सा बनने वालों में कोई तीन बच्चों की मां है तो कोई बॉस्केटबॉल की पूर्व खिलाड़ी, कोई दिग्गज वकील है तो कोई युवा कांग्रेस कार्यकर्ता।

क्षेत्रों और भाषाओं से विभाजित, 3,570 किलोमीटर की इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ चलने वाले सभी 117 भारत यात्री एक उद्देश्य से एकजुट हैं।

महाराष्ट्र के नासिक की 27 वर्षीय आतिशा ने राहुल के साथ यात्रा का हिस्सा बनने के लिये अपनी नई नौकरी छोड़ दी। वह कहती हैं, “मैं भारत की तस्वीर बदलना चाहती हूं।”

देश का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखने वाली बॉस्केट बॉल की पूर्व खिलाड़ी आतिशा अब भारत को एकजुट करने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पूरी 3,570 किलोमीटर की यात्रा करके कांग्रेस के ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहती है। विपक्षी पार्टी का आरोप है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा देश की एकजुटता को खंडित किया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स से इंजीनियरिंग में स्नातक आतिशा को एअर इंडिया से एक अच्छी नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने इसके बजाय ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भाग लेना पसंद किया।

कर्नाटक में यात्रा में भाग लेते हुए उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “नौकरियां आएंगी और जाएंगी लेकिन यह मौका नहीं होगा।”

आतिशा ने कहा कि उसका परिवार उसके भविष्य को लेकर चिंतित है और उसके पिता उसे यात्रा पर भेजने से हिचकिचा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “मैं भारत का चेहरा बदलना चाहती हूं और जैसा कि वे कहते हैं, वह बदलाव बनें जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”

आतिशा जैसे कई लोग हैं जो इस यात्रा का हिस्सा बने हैं।

नागपुर की रहने वाली वैष्णवी भारद्वाज (24) राहुल के साथ चल रहीं सबसे युवा यात्री हैं।

कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) की समन्वयक ने पत्रकारिता का अध्ययन किया और वह “तेजी से ध्रुवीकृत हो रहे देश” में लोगों को एक साथ लाना चाहती हैं।

जब उनसे पूछा गया कि वह क्यों चल रही हैं तो वह कहती हैं, “मैं दृढ़ता से महसूस करती हूं कि बुर्का विवाद जैसे मुद्दों से बचने की जरूरत है। मेरी गहरी इच्छा जातिवाद से लड़ने की है, जिसे भाजपा समाज को विभाजित करने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए हवा दे रही है।”

एक अन्य युवा भारत यात्री अनुलेखा (27) ने हाल ही में कानून में अपनी परास्नातक डिग्री पूरी की है और अपनी पेशेवर यात्रा शुरू करने से पहले एक साल कांग्रेस को समर्पित करना चाहती हैं।

वह इस यात्रा को पहले कदम के तौर पर देखती हैं।

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से जुड़ी अनुलेखा ने कहा कि भारत की विविधता में एकता खतरे में है…।

कर्नाटक के अंदरुनी इलाकों में यात्रा के दौरान चलते हुए उन्होंने कहा, “मैं भाजपा की ‘फूट डालो और राज करो’ की इस नीति के खिलाफ हूं।” उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा लोगों को मूल्य वृद्धि, सांप्रदायिक विभाजन, बेरोजगारी और किसानों की दुर्दशा के बुनियादी मुद्दों के प्रति जागृत करेगी।

इसके अलावा भारत यात्रियों में मणिपुर की लिंग किम हाओकिप (47) भी शामिल हैं जो तीन बच्चों की मां हैं। वह “देश को एकजुट करने” के लिए अपने परिवार को पीछे छोड़ कर आई हैं।

पैर में आई चोट की वजह से अन्य यात्रियों से पीछे चल रही हाओकिप ने कहा कि वह यात्रा में पूर्वोत्तर का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

उन्होंने कहा, “मेरी मां और मेरे बच्चे मेरी लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उन्होंने मुझे मजबूत बने रहने को कहा है।”

यात्रा में 119 ‘भारत यात्रियों’ (पूरी यात्रा के दौरान पैदल चलने वाले) में से 35 महिला यात्री हैं।

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)