सतीश कौशिक : अभिनेता, निर्देशक और लेखक के रूप में विविध मंचों पर अपनी छाप छोड़ी |

सतीश कौशिक : अभिनेता, निर्देशक और लेखक के रूप में विविध मंचों पर अपनी छाप छोड़ी

सतीश कौशिक : अभिनेता, निर्देशक और लेखक के रूप में विविध मंचों पर अपनी छाप छोड़ी

:   Modified Date:  March 9, 2023 / 09:47 PM IST, Published Date : March 9, 2023/9:47 pm IST

मुंबई, नौ मार्च (भाषा) अपने चार दशक लंबे करियर में थिएटर, सिनेमा, टीवी और ओटीटी मंच पर अभिनेता, निर्देशक और लेखक के रूप में अपनी छाप छोड़ने वाले फिल्मकार सतीश कौशिक का बृहस्पतिवार तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे।

फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ और ‘मिस्टर इंडिया’ में यादगार भूमिकाएं निभाने वाले कौशिक ने ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ से निर्देशन की दुनिया में कदम रखा और ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ ‘हमारा दिल आपके पास है’, ‘बधाई हो बधाई’, ‘तेरे नाम’ और ‘मुझे कुछ कहना है’ जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया।

हरियाणा में जन्में और दिल्ली के करोल बाग में पले-बढ़े कौशिक ने हमेशा अभिनेता बनने का सपना देखा था। ‘राम-लखन’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘दीवाना मस्ताना’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘भारत’, ‘छलांग’, ‘उड़ता पंजाब’ जैसी फिल्मों में निभाए गए किरदारों के लिए उनकी जमकर सराहना की गई।

फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में कौशिक ने ‘कैलेंडर’ नामक एक रसोइये का किरदार निभाया था जो आज भी लोकप्रिय है। इसके बाद उन्हें ऐसे कई और आकर्षक नाम मिले। कैलेंडर के अलावा ‘दीवाना मस्ताना’ में पप्पू पेजर, ‘स्वर्ग’ में एयरपोर्ट, ‘अंदाज’ में पानीपुरी शर्मा, ‘परदेसी बाबू’ में हरपाल हैप्पी सिंह, ‘बड़े मियां, छोटे मियां’ में शराफत अली और ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ में जर्मन के नाम से किरदार निभाया।

कौशिक ने 1983 में आई फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के संवाद लिखे और पंकज त्रिपाठी अभिनीत ‘कागज़’ (2021) की कहानी भी लिखी।

कौशिक और अभिनेता गोविंदा की जोड़ी भी काफी मशहूर थी। दोनों 90 के दशक में ‘स्वर्ग’, ‘साजन चले ससुराल’, ‘दीवाना मस्ताना’, ‘परदेसी बाबू’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’, ‘आंटी नंबर-1’ और ‘हसीना मान जाएगी’ जैसी कई फिल्मों में साथ नजर आए।

कौशिक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के छात्र रहे थे।

थियेटर की दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले कौशिक ने फिरोज खान के रूपांतरण वाले आर्थर मिलर के नाटक ‘डेथ ऑफ ए सेल्समैन’ में ‘मिस्टर रामलाल’ की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें बहुत प्रशंसा मिली।

उन्होंने 2016 में सैफ हैदर हसन द्वारा अभिनीत ‘मिस्टर एंड मिसेज मुरारीलाल’ में अभिनय किया, जिसे खासा सराहा गया।

वर्ष 2021 में ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार के दौरान कौशिक ने कहा था, ‘‘मैंने ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ से लेकर ‘तेरे नाम’ तक अलग-अलग तरह की फिल्में बनाई हैं। कुछ कामयाब रहीं और कुछ फ्लॉप रहीं। मैंने अपनी पहचान के लिए भी संघर्ष किया क्योंकि एक निर्देशक के तौर पर मैं खुद के बारे में ये साबित करना चाहता था कि मैं केवल हास्य कलाकार नहीं हूं। मैं अपने काम के जरिए दर्शकों से कुछ जरूरी बातें कहना चाहता हूं।’’

लाखों लोगों की तरह कौशिक ने भी फिल्मी दुनिया में खुद को साबित करने का सपना देखा था और यह यात्रा नौ अगस्त 1979 को पश्चिम एक्सप्रेस से शुरू हुई थी।

लगभग चार दशक बाद कौशिक ने 10 अगस्त 2020 को ट्वीट किया था, ‘‘…10 अगस्त मुंबई में पहली सुबह थी। मुंबई ने मुझे काम, दोस्त, पत्नी, बच्चे, घर, संघर्ष, सफलता, असफलता दी और खुशी से जीने का साहस दिया।’’

उन्होंने साक्षात्कारों में याद किया था कि वह अपने जीजा द्वारा दिए गए 800 रुपये के साथ मुंबई के लिए रवाना हुए थे और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि वह कामयाब होंगे।

अपने शुरुआती दिनों में कौशिक दिन में एक कपड़ा मिल में काम करते थे और अपनी शाम मुंबई के प्रसिद्ध पृथ्वी थिएटर में बिताते थे।

अभिनय और फिर निर्देशन में अपनी पहचान बनाने से पहले उन्हें 1983 में आयी फिल्म ‘मासूम’ में शेखर कपूर के साथ सहायक के रूप में काम मिला।

फिल्मों में 40 साल बिताने के बाद कौशिक ने वर्ष 2019 की हरियाणवी फिल्म ‘छोरियां छोरों से कम नहीं होतीं’ के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। उन्होंने इस फिल्म में अभिनय किया था और इसके निर्माता भी थे। इस फिल्म ने 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में हरियाणवी भाषा में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता।

भाषा

शफीक संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)