नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार द्वारा दायर उस मुकदमे पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें शुद्ध उधार लेने की सीमा तय कर राज्य के वित्त को विनियमित करने के लिए उसकी ‘विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों’ के प्रयोग में हस्तक्षेप करने का उसपर (केंद्र पर) आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और 25 जनवरी तक जवाब मांगा।
केरल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उधार लेने की सीमा राज्य की अपने कर्मचारियों को वेतन देने और अन्य खर्चों को पूरा करने की क्षमता को प्रभावित कर रही है।
संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर मूल मुकदमे में, केरल सरकार ने कहा है कि संविधान विभिन्न अनुच्छेदों के तहत राज्यों को अपने वित्त को विनियमित करने के लिए राजकोषीय स्वायत्तता प्रदान करता है, और उधार लेने की सीमा या ऐसे उधार की सीमा को राज्य द्वारा विनियमित किया जाता है।
संविधान का अनुच्छेद 131 केंद्र और राज्यों के बीच किसी भी विवाद में शीर्ष अदालत के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है।
भाषा सुभाष शफीक
शफीक
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