नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर, 2011 में हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी की उस याचिका पर शुक्रवार को आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब मांगा जिसमें राज्य को उसके किशोर होने के दावे को सत्यापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
हैदराबाद स्थित केंद्रीय कारागार में बंद याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि स्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर उसकी जन्मतिथि 10 अगस्त, 1994 है और वारदात के समय उसकी उम्र करीब 17 साल थी।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि उनका मुवक्किल पहले ही हिरासत में 11 साल से अधिक का समय बिता चुका है। अधिवक्ता ने कहा कि स्कूल के प्रमाणपत्र में उल्लिखित जन्मतिथि के आधार पर वारदात के समय वह किशोर था।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘क्या अपने यह मुद्दा इसके पहले उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया? आपने अनुच्छेद 32 के तहत यहां अर्जी दाखिल की है। आप कह रहे हैं कि किशोर होने की दलील किसी भी चरण में दी जा सकती है।’’
मल्होत्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही 11 साल से अधिक का समय हिरासत में बिता चुका है जबकि किशोर कानून (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम,2000 के तहत केवल तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
इस पर पीठ ने कहा,‘‘मुद्दे को संज्ञान में लिया जाता है।’’
भाषा संतोष धीरज
धीरज
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