शंकराचार्य व रामानुजाचार्य भारतीय परंपरा के मेरूदंड: डॉ कल्ला |

शंकराचार्य व रामानुजाचार्य भारतीय परंपरा के मेरूदंड: डॉ कल्ला

शंकराचार्य व रामानुजाचार्य भारतीय परंपरा के मेरूदंड: डॉ कल्ला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : May 6, 2022/5:33 pm IST

जयपुर, छह मई (भाषा) राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय परंपरा में संतों का विशेष स्थान है। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया की दूसरी व्यवस्था में इतना दम नहीं है, जितना संतों की व्यवस्था में है।

उन्होंने कहा कि इसी व्यवस्था को आचार्य शंकर और आचार्य रामानुज ने ईश्वरीय भावना के अनुरूप ढालकर समाज के निर्माण में एक नये युग का सूत्रपात किया।

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कला एवं संस्कृति विभाग और राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कल्ला ने कहा कि भारत के अमर इतिहास में शंकराचार्य और रामानुजाचार्य का स्थान अप्रतिम है।

कल्ला ने शंकराचार्य और रामानुजाचार्य के जयंती समारोह में कहा कि दोनों आचार्यों द्वारा प्रतिपादित ज्ञान व भक्ति के सिद्धांत असंख्य लोगों के लिए आज भी प्रेरणा और आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं।

इस अवसर पर वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने शंकराचार्य के दार्शनिक विचार पर बोलते हुए उनके अद्वैत दर्शन की वैज्ञानिक व्याख्या की।

उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार मठ स्थापित कर वैदिक धर्म की एकता और अखंडता के लिए स्थायी कार्य किया।

दिल्ली के श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो. जयकांत शर्मा ने रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत वेदांत का विश्लेषण करते हुए भक्ति मार्ग की सुगमता को स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा कि भक्ति के मार्ग में कोई भेदभाव नहीं है और भक्ति में जाति, वर्ण एवं लिंग के भेदभाव से दूर जाकर प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर की प्राप्ति का अधिकारी है।

कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा ने विषय प्रवर्तन करते हुए शंकराचार्य और रामानुजाचार्य के लोकोत्तर व्यक्तित्व को परिभाषित किया।

भाषा कुंज पृथ्वी सुरेश

सुरेश

 

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