नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) भारतीय तटरक्षक ने सेवा में ज्यादा महिला अधिकारियों को शामिल करने की प्रतिबद्धता जताते हुए उच्चतम न्यायालय को बताया है कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों से संबंधित वर्तमान भर्ती नियम के तहत वे स्थायी कमीशन की मांग नहीं कर सकती हैं।
भारतीय तटरक्षक बल ने एक महिला अधिकारी द्वारा स्थायी कमीशन की मांग संबंधी याचिका के जवाब में एक हलफनामा दाखिल किया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिलाओं को इससे बाहर नहीं रखा जा सकने की बात का उल्लेख करते हुए हाल में केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उन्हें तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन दिया जाए।
तटरक्षक के उप महानिरीक्षक राज कमल सिन्हा द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘‘(तटरक्षक के) भर्ती नियम विशेष रूप से निर्धारित करते हैं कि महिला अधिकारियों के पास भविष्य में स्थायी प्रवेश योजना में जाने का विकल्प नहीं होगा, और वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता सहित चयनित उम्मीदवारों को जारी किए गए नियुक्ति पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया था।’’
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘तटरक्षक बल अधिक से अधिक महिला अधिकारियों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, भारतीय तटरक्षक मुख्य रूप से समुद्री सेवा है, जिसमें 66 प्रतिशत कर्मियों को तैरती इकाइयों को चलाने के लिए मंजूरी दी गई है और केवल 33 प्रतिशत कर्मियों को तट संबंधी इकाइयों के संचालन के लिए मंजूरी दी गई है।’’
हलफनामे में कहा गया कि सीमित उपलब्धता के कारण तटरक्षक अधिकारी का समुद्री कार्यकाल लंबा होता है, इसलिए, स्थायी प्रवेश को लेकर महिला अधिकारियों के लिए केवल 10 प्रतिशत नियुक्तियों पर विचार किया गया, क्योंकि उस समय यह माना जाता था कि जहाजों को महिलाओं के ठहरने, सुविधा के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया है।
शीर्ष अदालत तटरक्षक अधिकारी प्रियंका त्यागी द्वारा तटरक्षक की योग्य महिला एसएससी अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
भाषा आशीष माधव
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