छात्र संगठन का स्वभाव सत्ता विरोधी, लेकिन यह टुकड़े-टुकड़े की बात वाला नहीं हो सकता : होसबाले |

छात्र संगठन का स्वभाव सत्ता विरोधी, लेकिन यह टुकड़े-टुकड़े की बात वाला नहीं हो सकता : होसबाले

छात्र संगठन का स्वभाव सत्ता विरोधी, लेकिन यह टुकड़े-टुकड़े की बात वाला नहीं हो सकता : होसबाले

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : April 15, 2022/9:36 pm IST

नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को किसी का नाम लिये बिना कहा कि प्रत्येक छात्र संगठन स्वभाव एवं परिभाषा से सत्ता विरोधी होता है लेकिन यह देश को तोड़ने, टुकड़े-टुकड़े की बात करने, संस्कृति के बारे में घृणा से बात करने वाला नहीं हो सकता ।

‘ध्येय यात्रा : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ऐतिहासिक जीवनगाथा’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर होसबाले ने यह बात कही । इस पुस्तक को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद केवल मांग करने के लिये नहीं बनी, बल्कि छात्रों को देश को जोड़ने, संस्कृति के प्रवाह एवं इतिहास के दर्शन कराने एवं भविष्य के स्वप्न के बारे में जागृत करने के लिये है ।

उन्होंने कहा, ‘‘ प्रत्येक छात्र संगठन स्वभाव एवं परिभाषा से सत्ता विरोधी होता है । स्थापित सत्ता के विरूद्ध आवाज उठाने का कार्य हर पीढ़ी को करना पड़ता है। ’’

संघ के सरकार्यवाह ने किसी का नाम लिये बिना कहा कि लेकिन यह (छात्र संगठन का स्वभाव) देश को तोड़ने, टुकड़े-टुकड़े की बात करने के लिये नहीं हो सकता । उन्होंने कहा कि यह समाज में विद्वेष फैलाने, संस्कृति के बारे में घृणा से बात करने, समाज में अव्यवस्था फैलाने के लिये तो नहीं हो सकता।

उन्होंने सवाल किया कि क्रांति के नाम पर देश के अंदर खून खराबा करने और अपने ही लोगों को बंदूक से मारकर क्रांति लायेंगे क्या ?

होसबाले ने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों के परिसरों से बंदूक से क्रांति लाने वालों की आवाज को बंद करने के लिये विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने आत्म आहुति दी ।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद का एक महत्वपूर्ण योगदान छात्र शक्ति को राष्ट्र शक्ति के रूप में बदलना है। इसका कार्य रचनात्मकता पर है ।

उन्होंने ने दावा किया कि किसी भी दूसरे संगठन ने वर्ष भर हजारों की संख्या में देश के अलग अलग स्थानों पर ऐसे हजारों रचनात्मक कार्यो के बारे में नहीं सोचा, जैसा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का है।

सरकार्यवाह ने कहा कि छात्र संगठन का एक महत्वपूर्ण पहलू आंदोलन है, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण राष्ट्र के प्रति योगदान है। रचनात्मक कार्य करते हुए समाज के प्रश्नों को लेकर संवेदनशीलता से जुड़कर कर्तव्यों को पूरा करना महत्वपूर्ण है।

होसबाले ने कहा कि अतीत में लेखों, आलेखों में विद्यार्थी परिषद को उचित स्थान नहीं दिया गया ।

उन्होंने कहा कि इतिहास को अपनी दृष्टि और अपने विचारधारा के चश्मे से देखकर लिखने का कार्य किया गया और एबीवीपी की भूमिका एवं योगदान को लेकर उसका सही चित्रण नहीं किया गया ।

भाषा दीपक दीपक पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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