उच्चतम न्यायालय समय पूर्व रिहाई की नीति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत |

उच्चतम न्यायालय समय पूर्व रिहाई की नीति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत

उच्चतम न्यायालय समय पूर्व रिहाई की नीति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : July 24, 2021/7:37 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हो गया है, जिसमें कानूनी मुद्दा उठाया गया है कि समय पूर्व रिहाई के लिये दोषसिद्धि के वक्त लागू नीति अमल में लाई जाएगी या ऐसी राहत देने का विचार करते वक्त लागू नीति।

शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार और अन्य से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है। मामले में याचिकाकर्ता उम्र कैद की सजा काट रहा कैदी है और उसने अदालत से अनुरोध किया है कि राज्य को उसे रिहा करने का निर्देश दिया जाए, क्योंकि उसने छूट की अवधि सहित 20 साल कैद की सजा पूरी कर ली है।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि वह मामले में सजा सुनाए जाने के वक्त लागू समयपूर्ण रिहा करने की नीति की अर्हता रखता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ के समक्ष यह याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए आई, जिसमें राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया गया।

पीठ ने कहा ‘‘चार हफ्ते में नोटिस का जवाब दें।’’

अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा के जरिये दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एवं अन्य को वर्ष 1996 के मामले में निचली अदालत ने दोषी ठहराया और सितंबर 2005 में उम्र कैद की सजा सुनाई।

याचिका में कहा गया, ‘‘हालांकि, 10 जनवरी 2012 को पहली बार उस नीति में बदलाव किया गया, जिसमें कहा गया कि उम्र कैद की सजा पाए व्यक्ति को कुल 26 साल की सजा के साथ 20 साल की वास्तविक सजा भुगतनी होगी जबकि दिसंबर 1978 की नीति में उल्लेख था कि 18 दिसंबर 1978 के बाद उम्र कैद की सजा पाया व्यक्ति अगर कुल 20 साल और 14 साल की वास्तविक सजा को पूरा कर लेता है, वह तो समय पूर्व रिहाई की अर्हता रखता है। ’’

याचिकाकर्ता के मुताबिक अधिकारियों ने पिछले साल दिसंबर में उसकी समय पूर्व रिहा करने की अर्जी पर दिसंबर 1978 की नीति के तहत विचार करने के बजाय जनवरी 2012 की नीति के आधार पर उसे अस्वीकार कर दिया।

याचिका में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर चार दिसंबर, 1978 के संदर्भ में विचार किया जाना चाहिए और अदालत से अनुरोध है कि वह उसे तत्काल रिहा करने के लिए उचित निर्देश दे।’’

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)