उच्चतम न्यायालय ने सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका खारिज की |

उच्चतम न्यायालय ने सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका खारिज की

:   Modified Date:  March 19, 2024 / 12:22 AM IST, Published Date : March 19, 2024/12:22 am IST

नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन के एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि जैन और दो सहयोगी कथित अपराध के लिए प्रथम दृष्टया दोषी हैं।

दिल्ली के पूर्व मंत्री की नियमित जमानत याचिका खारिज होने के कुछ ही घंटों बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जैन की सराहना करते हुए उन्हें दिल्लीवासियों के लिए ‘‘नायक’’ बताया।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने जैन से तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा। जैन अंतरिम जमानत पर बाहर थे।

न्यायालय ने जैन को आत्मसमर्पण करने के लिए एक हफ्ते का वक्त देने के उनके वकील के मौखिक अनुरोध को ठुकरा दिया।

जैन धनशोधन मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किये जाने के कुछ ही घंटे बाद तिहाड़ जेल लौट आये।

शीर्ष अदालत ने जैन की नियमित जमानत याचिका पर 17 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उसने 26 मई 2023 को जैन को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी थी और बार-बार जमानत की अवधि बढ़ायी जाती रही। जैन ने मामले में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के छह अप्रैल 2023 के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।

ईडी ने जैन से कथित तौर पर जुड़ी चार कंपनियों के जरिए धन शोधन के आरोप में ‘आप’ नेता को 30 मई 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। उसने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत 2017 में जैन के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया था।

पीठ ने कहा, ‘‘… इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता – सत्येन्द्र कुमार जैन – ने नकदी के बदले समायोजन प्रविष्टियों के विचार की कल्पना की थी और वह नकद भुगतान करके चार कंपनियों के बैंक खातों में कोलकाता स्थित प्रविष्टि ऑपरेटर के माध्यम से प्राप्त कुल 4.81 करोड़ रुपये (लगभग) की समायोजन प्रविष्टियों के लिए जिम्मेदार थे।’’

उसने कहा कि ये कंपनियां हैं ‘‘मैसर्स अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स पैरयस इंफोसोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स इंडो मेटालिम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’’ और ‘‘उक्त कंपनियों का नियंत्रण और स्वामित्व उनके एवं उनके परिवार के पास था।’’

इस बीच, ‘आप’ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के फैसले से ‘‘सम्मानपूर्वक असहमति व्यक्त करती’’ है। उसने साथ ही कहा, ‘‘हमें अपनी न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है और हमें यकीन है कि अंततः न्याय होगा।’’

पार्टी ने कहा, ‘‘ उनकी रीढ़ की हड्डी की बड़ी सर्जरी हुई है, जिससे वे भी पूरी तरह उबरे नहीं है। ’’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘वह (जैन) सभी दिल्लीवालों के लिए नायक हैं। उन्होंने चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति, मुफ्त बिजली, अच्छे सरकारी अस्पताल और मोहल्ला क्लीनिक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। उनके और उनके परिवार के लिए बेहद दुखी हूं। ईश्वर उन पर कृपा करे।’’

भाषा सिम्मी रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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