ओडिशा के गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश से जवाब मांगा | Supreme Court seeks response from Andhra Pradesh on notification of Panchayat elections in villages of Odisha

ओडिशा के गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश से जवाब मांगा

ओडिशा के गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश से जवाब मांगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : February 12, 2021/10:07 am IST

नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश से ओडिशा की एक याचिका पर जवाब मांगा जिसमें उसने दक्षिणी राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अपने तीन ‘विवादित क्षेत्र’ वाले गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी करने के लिए अवमानना कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को कोई आदेश पारित नहीं करेगी और 19 फरवरी को आंध्रप्रदेश के जवाब पर विचार करेगी।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान ओडिशा की तरफ से पेश हुए वकील विकास सिंह और वकील सिबू शंकर मिश्रा ने कहा कि आंध्रप्रदेश उसके नियंत्रण वाले विवादित क्षेत्र में पंचायत चुनाव करा रहा है।

पीठ ने आंध्रप्रदेश के वकील महफूज ए. नाज्की से कहा कि ओडिशा की याचिका पर राज्य का जवाब दाखिल करें।

पीठ ने ओडिशा के वकील को याचिका की अग्रिम प्रति आंध्रप्रदेश के वकील को देने की छूट दे दी और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल तय की।

आंध्रप्रदेश के साथ 21 गांवों के अधिकार क्षेत्र को लेकर यथास्थिति आदेश जारी रखने के पांच दशक से अधिक समय के बाद ओडिशा ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और आंध्रप्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ इसके अधिकार क्षेत्र वाले तीन गांवों में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने के लिए अवमानना की कार्रवाई करने का आग्रह किया।

नवीन पटनायक सरकार ने कहा है कि अधिसूचना ओडिशा के क्षेत्र में अतिक्रमण है।

‘‘कोटिया ग्राम समूह’’ के नाम से लोकप्रिय 21 गांवों के क्षेत्र पर अधिकार के विवाद का मामला पहली बार 1968 में उच्चतम न्यायालय पहुंचा था जब ओडिशा ने एक दिसंबर 1920, आठ अक्टूबर 1923 और 15 अक्टूबर 1927 की अधिसूचना के आधार पर दावा किया था कि आंध्रप्रदेश ने उसके क्षेत्र में अतिक्रमण किया है।

ओडिशा की तरफ से दायर वाद के लंबित रहने के दौरान शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर 1968 को दोनों राज्यों को मुकदमे के निस्तारण तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे और कहा था, ‘‘दोनों पक्ष में से कोई भी आगे इन विवादित क्षेत्रों पर दखल नहीं करेगा।’’

ओडिशा द्वारा अनुच्छेद 131 के तहत दायर वाद को उच्चतम न्यायालय ने 30 मार्च 2006 को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था और दोनों राज्यों की सहमति से इसने निर्देश दिया कि विवाद का समाधान होने तक यथास्थिति बनाए रखी जाए।

ओडिशा की सरकार ने अब तीन वरिष्ठ अधिकारियों — मुंडे हरि जवाहरलाल, विजिनगरम जिले के जिलाधिकारी और आंध्रप्रदेश के राज्य चुनाव आयुक्त एन. रमेश कुमार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने की मांग की है।

इसने कहा, ‘‘संभवत: जवाहरलाल ने जिलाधिकारी और चुनाव आयुक्त के साथ मिलकर याचिकाकर्ता राज्य के क्षेत्र में जानबूझकर और इस अदालत की अवहेलना कर अतिक्रमण किया। इसलिए अवहेलना करने वालों से पूछा जाए कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए और उन्हें उचित दंड दिया जाए।’’

भाषा नीरज नीरज पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)