नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है, जो हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद 12 साल से अधिक जेल में काट चुका है। न्यायालय ने कहा कि 2005 में जब अपराध किया गया था, तब वह किशोर था।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की मई 2023 की रिपोर्ट का उल्लेख किया जिनसे व्यक्ति द्वारा दायर किशोर होने संबंधी याचिका के संबंध में जांच करने को कहा गया था। व्यक्ति ने कहा था कि उसकी जन्मतिथि दो मई, 1989 है।
पीठ में न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल रहे। पीठ ने पांच सितंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘अगर याचिकाकर्ता की जन्मतिथि दो मई, 1989 है तो अपराध की तारीख यानी 21 दिसंबर, 2005 को वह 16 साल सात महीने का था। इस हिसाब से अपराध करने की तारीख पर याचिकाकर्ता किशोर था।’’
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की उस याचिका पर आदेश सुनाया जिसमें किशोर न्याय (बाल देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार उसके किशोर होने के दावे का सत्यापन करने का अनुरोध किया गया।
उसने कहा कि कानून के प्रावधानों के अनुसार याचिकाकर्ता अधिकतम तीन साल हिरासत में रह सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, चूंकि हमारे सामने मौजूदा रिट याचिका (2022 में दायर) में पहली बार किशोरवयता की दलील रखी गई थी, इसलिए 2005 में शुरू हुई आपराधिक कानून की प्रक्रिया के कारण याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया गया और निचली अदालत, उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा एक साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।’’
उसने कहा कि याचिकाकर्ता 12 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है।
भाषा वैभव देवेंद्र
देवेंद्र
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