वैक्सीनेशन से ही पता चल जाएगी देश की आबादी! 2031 तक टल सकती है जनगणना, बचेंगे 12 हजार करोड़ |

वैक्सीनेशन से ही पता चल जाएगी देश की आबादी! 2031 तक टल सकती है जनगणना, बचेंगे 12 हजार करोड़

अब तक 84.67 करोड़ वयस्क लोगों का डेटा सरकार तक पहुंच चुका है। अब 15 से 17 साल वालों के टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं। ऐसे में सरकार को उनकी भी सटीक जानकारी जल्द ही मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि 15 साल से ऊपर वाले सभी लोगों का लगभग पूरा डाटा सरकार को मिल जाएगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : January 2, 2022/12:06 pm IST

Census of India 2021

नई दिल्ली। भारत में 2021 में होने वाली जनगणना अब 2031 तक टाली जा सकती है। दरअसल, कोरोना के कारण जनगणना नहीं हो सकी है। अब तैयारी की जा रही है कि वैक्सीनेशन (Vaccination) के रिकॉर्ड से देश की जनसंख्या की जानकारी जुटाई जाए। सूत्रों की माने तो सरकार जल्द ही इस संबंध में घोषणा भी कर सकती है।

गौरतलब है कि सरकार को देश में हो रहे वैक्सीनेशन के कारण लोगों की जानकारी मिल रही है। अब तक 84.67 करोड़ वयस्क लोगों का डेटा सरकार तक पहुंच चुका है। अब 15 से 17 साल वालों के टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं। ऐसे में सरकार को उनकी भी सटीक जानकारी जल्द ही मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि 15 साल से ऊपर वाले सभी लोगों का लगभग पूरा डाटा सरकार को मिल जाएगा, ऐसे में सरकार का मानना है कि जनगणना 2031 तक टाली भी जाए तो कोई नुकसान नहीं होगा।

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Census of India 2021

केंद्र सरकार ने जिले, गांव या ब्लॉक की सीमाएं फ्रीज करने करने का फैसला भी 30 जून 2022 तक टाल दिया है। इसी के बाद माना जा रहा है कि सरकार जनगणना टालने जा रही है। इससे पहले जनगणना के लिए 31 दिसंबर 2020 और फिर 31 दिसंबर 2021 की समय सीमा तय की गई थी। जूरिस्डिक्शन फ्रीज करने का फैसला जनगणना शुरू करने के 3 महीने पहले किया जाता है। इसके बाद किसी भी जिले, ब्लॉक या गांव की सीमाओं में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि यदि अब जनगणना का फैसला होता भी है तो इसे 2022 के आखिरी तीन महीने से पहले नहीं शुरू किया जा सकेगा। यानी पूरी प्रोसेस कई साल खिंच जाएगी और जनगणना के नतीजे 2027 से पहले नहीं आ सकेंगे। नियमों के मुताबिक यह आंकड़े सिर्फ 2031 तक ही मान्य रहेंगे, इसलिए चार सालों के लिए 6 साल की कवायद करने का औचित्य कम ही नजर आ रहा है।

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मोदी सरकार ने जन्म-मृत्यु कानून में संशोधन किया है। वोटर आईडी और आधार कार्ड जल्द ही लिंक हो जाएंगे। ऐसे में बड़ी जनसंख्या का लगभग पूरा डिजिटल डाटा सरकार के पास हो जाएगा। संसद में भी यह मामला उठ चुका है कि जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का काम आधार से मिले डेटा से कराया जाए।