मंडला (मप्र), 15 मार्च (भाषा) मध्य प्रदेश में कान्हा बाघ संरक्षित क्षेत्र (केटीआर) के ‘बफर जोन’ के एक गांव से बचाए जाने के दस दिन बाद, करीब 12 साल के एक बाघ की शुक्रवार को इलाज के दौरान मौत हो गई।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र निदेशक एस के सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बढ़ती उम्र के कारण बाघ ने अपने कुछ दांत खो दिए थे और वह कमजोर हो गया था।
उन्होंने कहा, ‘पशु चिकित्सकों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे बाघ को नहीं बचा सके। दांत खोने के बाद, बाघ के लिए खाना मुश्किल हो गया था।’
उन्होंने बताया कि इस बाघ को पांच मार्च को केटीआर के बफर जोन में स्थित एक गांव से बचाया गया था।
उन्होंने कहा, ‘अपने नुकीले दांतों के नष्ट होने और कमजोरी के कारण, बाघ ने गांव में मवेशियों को पकड़ने की कोशिश की क्योंकि यह एक आसान शिकार है।’
अधिकारियों ने कहा कि जंगल में बाघों का जीवनकाल आमतौर पर 10 से 15 साल होता है।
भाषा सं दिमो
राजकुमार
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