आईएफए के जरिये इलाज से एनीमिया में कमी आएगी : शोधकर्ता |

आईएफए के जरिये इलाज से एनीमिया में कमी आएगी : शोधकर्ता

आईएफए के जरिये इलाज से एनीमिया में कमी आएगी : शोधकर्ता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : April 23, 2022/4:41 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) के एक अध्ययन में पाया गया है कि ‘‘स्क्रीन एंड ट्रीट विद आयरन-फोलिक एसिड’’ दृष्टिकोण प्रजनन की आयु वाली महिलाओं में एनीमिया (रक्त की कमी) की समस्या दूर करने में प्रभावी है, और इसका महत्वपूर्ण उपचार प्रभाव एक वर्ष की अवधि तक रहता है।

एनआईएन के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक डॉ. रघु पुलाखंडम ने कहा कि एनीमिया भारत में, खासकर महिलाओं में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है।

पुलाखंडम ने कहा, ‘‘पिछले चार दशकों से एनीमिया के प्रति लोगों का रुख आयरन-फोलिक एसिड (आईएफए) के पूरक के इस्तेमाल का रहा है, फिर भी, एनीमिया की व्यापकता भारतीय महिलाओं में 50 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है।’’

एनीमिया नियंत्रण को मजबूत करने के प्रयास में, सरकार ने हाल ही में ‘एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी)’ कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें प्रजनन की आयु की महिलाओं के लिए मौजूदा रोगनिरोधी आईएफए पूरक के अलावा, खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की अतिरिक्त जांच और उपचार के लिए आईएफए टैबलेट की वकालत की है।

इस दृष्टिकोण का मूल्यांकन हैदराबाद स्थित आईसीएमआर-एनआईएन द्वारा 17-21 वर्ष की आयु की 470 महिलाओं में किया गया।

पुलाखंडम ने कहा कि हीमोग्लोबिन की जांच के बाद 90 दिनों के लिए आईएफए के साथ इलाज करने से एनीमिया में 40 प्रतिशत की कमी आई और शरीर में आयरन के भंडार में सुधार हुआ, जैसा कि सीरम फेरिटिन द्वारा अनुमानित था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह अध्ययन बताता है कि ‘एनीमिया मुक्त भारत’ के दिशानिर्देशों के तहत परामर्श के अनुसार जांच के उपरांत यदि आईएफए सप्लीमेंट दिया जाता है तो इससे प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं में एनीमिया की मौजूदगी कम हो जाती है और इस इलाज का प्रभाव कम से कम एक साल तक मौजूद रहता है।’’

भाषा सुरेश उमा

उमा

 

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