उमर खालिद के वकील ने अदालत से पूछा- क्या संदेश भेजना आतंकवादी कृत्य है |

उमर खालिद के वकील ने अदालत से पूछा- क्या संदेश भेजना आतंकवादी कृत्य है

उमर खालिद के वकील ने अदालत से पूछा- क्या संदेश भेजना आतंकवादी कृत्य है

:   Modified Date:  April 24, 2024 / 10:25 PM IST, Published Date : April 24, 2024/10:25 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद के वकील ने दिल्ली पुलिस के तर्क का खंडन करते हुए बुधवार को अदालत से पूछा कि क्या व्हाट्सऐप पर संदेश भेजना आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है।

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि खालिद जमानत याचिका पर सुनवाई को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया पर विमर्श गढ़ रहा है।

खालिद 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी कथित साजिश में एक आरोपी है। उसके खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी विशेष अदालत के समक्ष प्रस्तुत खालिद की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।

खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने कहा, ‘विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) का कहना है कि मैंने माहौल बनाया है। क्या (व्हाट्सएप पर) संदेश साझा करना एक आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है?… क्या किसी को जेल में रखने के उनके (अभियोजन पक्ष के) प्रयासों के बेतुकेपन को अदालत देख पा रही है? क्या मेरे लिए यह एक संदेश आगे प्रेषित करना गलत है, जिसमें कहा गया है कि किसी को गलत तरीके से कैद में रखा गया है। नहीं। ”

एसपीपी अमित प्रसाद ने पहले कहा था कि खालिद के मोबाइल फोन के डेटा से पता चला है कि वह कुछ अभिनेताओं, राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं और मशहूर हस्तियों के संपर्क में था। उन्हें खालिद ने कुछ समाचार पोर्टल के लिंक और अन्य सामग्री भेजकर इन्हें अपने सोशल मीडिया खातों पर साझा करने का अनुरोध किया था ताकि वह एक खास विमर्श गढ़ सके।

खालिद के वकील ने दावा किया, ‘क्या यह साझा करने में कुछ गलत है कि उसे गिरफ्तार किया जाएगा? क्या मैं उन लोगों की संख्या सीमित कर दूं जिन्हें मैं संदेश भेजता हूं? एक आरोपी किसी और को खबर क्यों नहीं भेज सकता? यह असली विमर्श है।”

उन्होंने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने दंगे भड़काने का आरोप लगाने के लिए खालिद के नाम का ‘बार-बार’ एक मंत्र की तरह उल्लेख किया। वकील ने पूछा कि क्या ‘एक झूठ को सौ बार दोहराने’ से वह सच हो सकता है।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई सात मई तक के लिए स्थगित कर दी।

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश

 

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