हम न तो राजनीति में शामिल हैं न ही लोगों से किसी पार्टी को वोट देने को कहा : बंगाल के संत |

हम न तो राजनीति में शामिल हैं न ही लोगों से किसी पार्टी को वोट देने को कहा : बंगाल के संत

हम न तो राजनीति में शामिल हैं न ही लोगों से किसी पार्टी को वोट देने को कहा : बंगाल के संत

:   Modified Date:  May 19, 2024 / 07:21 PM IST, Published Date : May 19, 2024/7:21 pm IST

कोलकाता, 19 मई (भाषा) लोकसभा चुनाव में दो प्रमुख मठों के कुछ संतों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में काम करने से संबंधित पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों से उपजे विवाद के बीच, दोनों धार्मिक संस्थाओं ने रविवार को दावा किया कि वे हमेशा ही राजनीति से दूर रही हैं और कभी किसी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी ने शनिवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के दोनों प्रमुख मठों के कुछ संत ‘‘भाजपा के निर्देश पर काम कर रहे हैं।’’

बनर्जी ने आरोप लगाया था कि रामकृष्ण मिशन के कुछ संतों ने आसनसोल में श्रद्धालुओं से भाजपा को वोट देने को कहा था, जबकि भारत सेवाश्रम संघ के एक संत ने बहरमपुर में एक तृणमूल एजेंट को मतदान केंद्र पर बैठने से मना कर दिया था।

इन आरोपों का संदर्भ देते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को पुरुलिया में एक रैली में कहा, ‘‘चुनाव के दौरान बंगाल की जनता को डराने-धमकाने वाली टीएमसी ने इस बार सारी हदें पार कर दी हैं। आज देश-दुनिया में इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ सेवा और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री उन्हें खुले मंच से खुलेआम धमकी दे रही हैं…वे केवल अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए उन्हें धमकी दे रही हैं।’

रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ, दोनों ने आरोपों को खारिज कर दिया तथा कहा कि वे केवल समाज की सेवा करने पर ध्यान देते हैं।

बेलूर में रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय के एक वरिष्ठ संत ने कहा, ‘‘हम आक्षेपों से दुखी और व्यथित हैं…हम किसी भी विवाद में फंसना नहीं चाहते हैं…प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सहित सभी क्षेत्रों से हजारों आगंतुक हमारे परिसर में प्रार्थना और ध्यान करने आते हैं…हमारे लिए सभी समान हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों के बीच धर्म और अध्यात्म के शाश्वत मूल्यों का प्रसार करने का प्रयास करते हैं। मेरी जानकारी के अनुसार, न तो मिशन और न ही हमारे किसी संत ने किसी को भी एक विशेष पार्टी को वोट देने के लिए कहा।’’

भारत सेवाश्रम संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चक्रवात से लेकर कोविड महामारी ​​तक, हम हमेशा दूर-दराज के इलाकों में पीड़ितों की सहायता के लिए पहुंचे हैं। हम 107 साल पुराना संगठन हैं और हमारे संत देशभर में धर्मार्थ स्वास्थ्य क्लीनिक, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं। हम न तो कभी राजनीति में शामिल थे और न ही भविष्य में होंगे।’’

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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