नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन दुनिया में सबसे कम है इसलिए पश्चिमी औद्योगिक देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अधिकांश वित्तीय बोझ उठाना चाहिए।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ”पर्यावरण विविधता और पर्यावरण न्यायशास्त्र पर सम्मेलन: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य” विषय को संबोधित करते हुए मंत्री ने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि भारत का पर्यावरण कानून और नीति केवल संरक्षण ही नहीं बल्कि यह समानता और न्याय के बारे में भी है।
यादव ने कहा, ” यदि पर्यावरण संरक्षण उपायों से सबसे अधिक प्रभावित वे लोग हों, जो इस समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं हैं तो यह कोई पर्यावरणीय न्याय और समानता नहीं हो सकती। ”
केंद्रीय मंत्री ने पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संबंधी मुकदमेबाजी की संख्या में वृद्धि का जिक्र किया और इसे विकास परियोजनाओं के लिए हानिकारक करार दिया।
उन्होंने कहा कि समाज को समृद्ध होना होगा लेकिन ऐसा पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि इसी तरह पर्यावरण की रक्षा करनी होगी लेकिन विकास की कीमत पर नहीं तथा दोनों के बीच संतुलन बनाना समय की मांग है।
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