अमेरिका के व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने पर सहमति बनी। ट्रंप ने जहां कट्टर इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने पर जोर दिया, वहीं नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अब आतंकवाद के पनाहगारों को भी नहीं बख्शा जाएगा।
गर्मजोशी से मिलते दो हाथ और गले लगते दो देश. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुलाकात पर दुनिया भर की नजरें थीं और मुलाकात में वही हुआ, जिसकी उम्मीद थी। दोनों नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद साझा बयान जारी किया। जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ISIS जैसे कट्टर इस्लामिक आतंकवाद को दोनों देशों के साथ मिलकर खत्म करने की बात कही।
आतंकवाद से लड़ने को दोनों देशों की प्राथमिकता बताते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की तारीफ की। ट्रंप ने राष्ट्रपति के तौर पर खुद को भारत का सच्चा दोस्त बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए ये भी कहा कि सोशल मीडिया पर मैं और मोदी वर्ल्ड लीडर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधते हुए कहा कि अब आतंकवाद को पनाह देने वालों को भी नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने अफगानिस्तान में आतंकवाद से बढ़ती अस्थिरता को दोनों देशों की चिंता का विषय बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक मजबूत और सफल अमेरिका में ही भारत का हित है। डिफेंस टेक्नॉलॉजी में अमेरिका और भारत के बीच सहयोग बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने साझा बयान के दौरान ही ट्रंप को सपरिवार भारत आने का न्यौता भी दिया।
मोदी-ट्रंप की मुलाकात और साझा बयान से ये साफ हो गया है कि भारत आतंकवाद से मुकाबला करने के मामले में हर तरह से अमेरिका के साथ है। इस मुलाकात से ठीक पहले अमेरिका ने पाकिस्तान में रह रहे हिजबुल के आतंकी सैयद सलाउद्दीन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। आतंकवाद के खिलाफ ये भारत की बड़ी रणनीतिक जीत है।
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