यमुना प्रदूषण: एनजीटी ने उप्र के दो नगर निकायों पर 65 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया |

यमुना प्रदूषण: एनजीटी ने उप्र के दो नगर निकायों पर 65 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया

यमुना प्रदूषण: एनजीटी ने उप्र के दो नगर निकायों पर 65 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया

:   Modified Date:  April 24, 2024 / 10:31 PM IST, Published Date : April 24, 2024/10:31 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के दो नगर निकाय यमुना में प्रदूषित जल के प्रवाह को रोकने में नाकाम रहे और नियमों का “घोर उल्लंघन” किया है। इसके साथ ही एनजीटी ने आगरा और मथुरा-वृंदावन के नगर निगमों पर 65 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया।

हरित अधिकरण अनुपचारित अवजल के प्रवाह के कारण आगरा और मथुरा-वृंदावन में यमुना के प्रदूषण के संबंध में दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, “हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि यमुना नदी की जल पारिस्थितिकी की सुरक्षा और उसकी सफाई राज्य का वैधानिक और संवैधानिक दायित्व था, लेकिन वह इसे पूरा करने में बुरी तरह विफल रहा है।”

पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा, “आगरा और मथुरा-वृंदावन में स्थानीय निकाय जैसे वैधानिक निकाय यमुना नदी में प्रदूषित सामग्री के प्रवाह को रोकने में विफल रहे हैं और भारी मात्रा में प्रदूषित अवजल को बहा कर इसे प्रदूषित होने दिया।”

पीठ ने 200 पन्नों के फैसले में कहा कि दोनों स्थानों के नगर निगम और उनके अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) का संचालन करने वाली एजेंसियों ने प्रवाह को न रोककर जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

अधिकरण ने कहा कि आगरा नगर निकाय ने भी अपेक्षित सहमति के बिना स्थापित दो एसटीपी का संचालन करके अधिनियम का उल्लंघन किया।

उसने कहा कि “प्रदूषक भुगतान सिद्धांत” के आधार पर, आगरा नगर निगम 58,39,20,000 रुपये (58.39 करोड़ रुपये) का पर्यावरण मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है, जबकि मथुरा-वृंदावन नगर निगम 7,20,10,000 (7.20 करोड़ रुपये) रुपये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।

अधिकरण ने कहा कि कुल 65,59,30,000 रुपये (65.59 करोड़ रुपये) की राशि नगर निगमों को तीन महीने के भीतर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा करनी होगी।

अधिकरण ने कहा, “पर्यावरण मुआवजे की राशि का उपयोग आगरा, मथुरा और वृन्दावन क्षेत्रों में पर्यावरण के सुधार/पुनरुद्धार/पुनर्स्थापना के लिए एक कायाकल्प योजना के आधार पर किया जाएगा, जिसे सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), यूपीपीसीबी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों की एक संयुक्त समिति द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा।”

भाषा प्रशांत माधव

माधव

 

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