worshiped on Dhanteras: धनतेरस या धनत्रयोदशी से हई दीपावली का 5 दिन का महापर्व आरंभ हो जाता है। धनतेरस के दिन लोग शगुन के तौर पर सोना-चांदीके बर्तन या आभूषण खरीदते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार धनतेरस के दिन हई वैद्य धन्वंतरि समुद्र मंथन से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। पुराणों के अनुसार भगवान धन्वंतरि देवी लक्ष्मी के हाथ में अमृत कलश लिए हुए समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थे। इसलिए इसे धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस के दिन श्री गणेश, धन के देवता कुबेर, औषधि के देवता धन्वंतरि तथा सुख, समृद्धि तथा वैभव की देवी महालक्ष्मी की पूजा विधि विधान से एक साथ की जाती है।
गणेश पूजा से आरंभ करें पूजन
श्री गणेश सबके आराध्य माने जाते हैं, इसीलिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धनतेरस पर श्री गणेश की पूजन विधि इस प्रकार है-
-सर्वप्रथम श्री गणेश को स्नान कराएं।
-इसके उपरांत विघ्नहर्ता श्री गणेश को चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
-फिर उन्हें लाल रंग के वस्त्र पहनाएं और फिर ताजे पुष्प अर्पण करें।
अब धनतेरस की पूजा शुरू करने से पूर्व नीचे दिए गए मंत्र का जाप अवश्य करें-
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
अब करें धन्वंतरि देव का पूजन
worshiped on Dhanteras: श्री गणेश के पूजन के बाद भगवान धन्वंतरि का पूजन आरंभ करें।
इनका पूजन इस प्रकार करें-
-सर्वप्रथम भगवान धन्वंतरि की मूर्ति स्थापित कर उन्हें स्नान कराएं।
-अब धन्वंतरि देव का अभिषेक करें।
-इसके बाद उन्हें 9 प्रकार के अनाज का भोग लगाएं।
-मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई और पीली चीज प्रिय है, तो संभव हो तो उन्हें पीले रंग की वस्तुएं ही अर्पित करें।
ऐसे करें धन देवता कुबेर का पूजन
भगवान कुबेर धन के अधिपति हैं। मान्यता है जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से भगवान कुबेर की पूजा करता है उसके घर में कभी धन संपत्ति की कमी नहीं रहती है। कुबेर देव की पूजा के समय सदैव इस बात का विशेष ध्यान रखें कि -उनकी पूजा प्रदोष काल में ही करें।
-सर्वप्रथम कुबेर देव कि मूर्ति स्थापित कर उन्हें स्नान कराएं।
-इसके उपरांत उन्हें फूल, फल, चावल, रोली-चंदन, अर्पित करें।
-इसके बाद धूप-दीप का उपयोग कर उनका पूजन करें।
-भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
महालक्ष्मी पूजन के बिना अधूरी है धनतेरस की पूजा
worshiped on Dhanteras: महालक्ष्मी का पूजन धनतेरस के दिन प्रदोष काल में ही किया जाता है। पूजन विधि इस प्रकार है-
-माता लक्ष्मी की पूजा शुरू करने से पूर्व एक चौकी पर एक लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उसमें मुट्ठी भर अनाज रख लें।
-इसके बाद कलश में गंगाजल रखें।
-इसके साथ ही सुपारी, फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने और अनाज भी इस कलश के ऊपर रखें।
-इसके बाद लक्ष्मी जी की प्रतिमा का पंचामृत (दूध, दही, घी, मक्खन और शहद का मिश्रण) से स्नान कराएं।
-फिर जल से स्नान कराकर माता लक्ष्मी को चंदन लगाएं, इत्र, सिंदूर, हल्दी, गुलाल आदि अर्पित करें।
-अंत में सफलता, समृद्धि, खुशी और कल्याण की कामना करें।