Eco-Friendly Rangoli: Old Newspapers and Junk

Eco-Friendly Rangoli: पुराने अखबार और कबाड़ बड़े काम की चीज, दिवाली पर तैयार किया जबरदस्त मॉडल

Eco-Friendly Rangoli: Old Newspapers and Junk, Great model prepared on Diwali, पुराने अखबार और कबाड़ बड़े काम की चीज

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 05:56 PM IST, Published Date : October 23, 2022/6:15 pm IST

Eco-Friendly Rangoli: खरगोन। दिवाली पर महिलाएं सुंदर रंगोलियां बनाती हैं लेकिन खरगोन में एक युवती ने इकोफ्रेंडली रंगोली बनाई है। यह रंगोली सुंदर तो है ही साथ ही अनोखी है क्योंकि संयोगिता ने इसे पुराने न्यूजपेपर और कबाड़ को मिलाकर बनाया है। यह इको फ्रेंडली रंगोली शहर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रही है। साथ ही पुराने कबाड़ को रिसाइकल करके बनाने से सकारात्मक संदेश दे रही है।

खरगोन की रहने वाली संयोगिता हर साल दिवाली पर रंगोली बनाती हैं। लेकिन इस बार उन्होंने कुछ अलग तरह की रंगोली बनाने का विचार किया। इसके बाद फिर उन्होंने घर में पड़े कबाड़ का उपयोग करने पर विचार किया। लगभग एक सप्ताह की मेहनत के बाद इको फ्रेंडली रंगोली बनाकर तैयार की है।

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यह रंगोली आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसे बनाने में संयोगिता ने कबाड़ और घर में पड़े पुराने अखबारों का उपयोग किया है। इस कबाड़ को रिसाइकल कर संयोगिता ने समाज को इको फ्रेंडली रंगोली बनाने का संदेश दिया है।

चार हजार पुराने अखबारों से बनाई रंगोली
Eco-Friendly Rangoli: दीपावली के पर्व रंगोली का खासा महत्व होता है। क्योंकि रंगोली सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं बनाई जाती बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी होता है। खरगोन की संयोगिता ने इको फ्रेंडली रंगोली बनाकर दिवाली पर समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है।

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इस रंगोली में संयोगिता ने चार हजार पुराने अखबारों और पुस्टों का उपयोग कर रंगोली को तैयार किया है। संयोगिता ने पुराने अखबारों का रोल बनाकर उस पर पेंट किया। इसके साथ ही पीतल के बर्तन सहित दीपक और मोमबत्ती का भी उपयोग किया गया है।

ईको फ्रेंडली रंगोली बनाकर दिया संदेश
Eco-Friendly Rangoli: संयोगिता का मानना है कि रंगोली से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इसलिए रंगोली बनाई जाती है। लेकिन इको फ्रेंडली रंगोली बनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को संदेश देना है। संयोगिता का इको फ्रेंडली रंगोली के जरिए समाज को एक सकारात्मक संदेश जाता है। क्योंकि लोग आमतौर पर दीवाली पर वेस्ट मटेरियल को फेंक देते हैं या कबाड़ वाले को दे देते हैं। ऐसे में संयोगिता ने संदेश दिया की पुराने कबाड़ के जरिए कुछ नया कर सकते हैं।

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