मूवी रिव्यू: इंदु सरकार | Movie Review: Indu Sarkar

मूवी रिव्यू: इंदु सरकार

मूवी रिव्यू: इंदु सरकार

:   Modified Date:  December 3, 2022 / 06:25 PM IST, Published Date : December 3, 2022/6:25 pm IST

 

फिल्म- इंदु सरकार

स्टारकास्ट- कीर्तिकुल्हारी , तोता रॉय चौधरी, नील नितिन मुकेश, अनुपम खेर, सुप्रिया विनोद

निर्माता -मधुर भंडारकर, भरत शाह

निर्देशक – मधुर भंडारकर 

 

मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ विवादों के बीच आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म में 1975 से 1977 के उस अध्याय का जिक्र किया गया है. जो लोकतंत्र पर धब्बे के रूप में याद किया जाता है. फिल्म की कहानी मुबीपुरा गांव में पुलिस के पहुंचने से शुरू होती है. पुलिस वहां से सभी  पुरुष निवासियों को हिरासत में लेते हैं, फिर घोषणा करते हैं नसबंदी का साथ दो. जिसके बाद लोग भागने लगते हैं. सब खुद को अलग -अलग जगह छिपाने की कोशिश करते हैं.  लोग विरोध करते हैं जिसके बाद पुलिस लाठी चार्ज करती है. मेरी नसबंदी क्यों कर रहे हो? एक 70 वर्षीय बूढ़ा पूछता है तो 13 वर्षीय लड़का भी. यह दृश्य फिल्म की शुरुआत को पर्दे पर बहुत सशक्त तरीके से सामने लाती है, उसके बाद कहानी अनाथ इंदु सरकार पर चली जाती है. 

जो कवयित्री बनना चाहती है लेकिन इंदु की शादी सरकारी अफसर नवीन सरकारके साथ हो जाती है. इमरजेंसी में सरकार का रवैया इंदु को अच्छा नहीं लगता.  दूसरी तरफ इंदु के पति अपने फायदे के लिए सरकार का साथ देने लगते हैं, इस वजह से इंदु और नवीन में अलगाव हो जाता है. इंदु सरकार की योजनाओं का विरोध करने लगती है और सरकार के खिलाफ मोर्चा शुरू कर देती है. कहानी में कई मोड़ आते हैं, फिल्म का रिसर्च वर्क अच्छा है.

इमरजेंसी के दौरान नसबंदी और मीडियाबंदी के साथ-साथ बाकी कई तरह के मुद्दों पर प्रकाश डालने की कोशिश की गयी है. संजय गांधी के लिए गाने से इनकार करने के बाद रेडियो और टेलीविजन से किशोर कुमार पर अनौपचारिक प्रतिबंध का भी फिल्म में उल्लेख किया गया है. फिल्म में इंदिरा गांधी के किरदार को मम्मीजी के तौर पर और संजय गांधी को चीफ के तौर पर दिखाया गया है. फिल्म में इंदिरा गांधी और संजय गांधी पर फोकस न कर इमरजेंसी के दौरान जो राजनीतिक कदम उठाये गए हैं उस पर है.  इंटरवल तक फिल्म की गति धीमी ज़रूर है लेकिन उसके बाद फिल्म गति पकड़ती है और वह अंत तक बांधे रखती है.