मध्यप्रदेश में कुल चार चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण में 6 लोकसभा क्षेत्र सीधी, शहडोल, जबलपुर, बालाघाट, मंडला और छिंदवाड़ा में 29 अप्रैल को मतदान होगा। पांचवे चरण में सात लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़, दमोह, सतना, रीवा, खजुराहो, होशंगाबाद और बैतूल लोकसभा क्षेत्र में छह मई को मतदान होना है। छठवें चरण में आठ संसदीय क्षेत्रों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में 12 मई मतदान तिथि है। सातवें और अंतिम चरण में आठ लोकसभा क्षेत्रों देवास, उज्जैन, इंदौर, धार, मंदसौर, रतलाम, खरगोन और खंडवा में 19 मई को मतदान होगा। मतगणना 23 मई को होगी।
तो इस बार हम आपको ले चलते हैं मंडला लोकसभा सीट का जायजा लेने जहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते यहां से लगातार सातवीं बार मैदान में हैं, उनके सामने कांग्रेस के कमल मारावी चुनाव लड़ रहे हैं। 60 फीसदी आदिवासी जनसंख्या वाले मंडला लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं। मंडला संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। ये लोकसभा क्षेत्र दो जिलों डिंडोरी और मंडला के साथ ही सिवनी, नरसिंहपुर के कुछ हिस्सों तक फैला है।
मंडला लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। इनमें शाहपुरा, निवास, लखनादौन, डिंडोरी, मंडला, गोटेगांव, बिछिया, केवलारी विधानसभा शामिल हैं। इन 8 सीटों में से 6 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली 8 में से 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। इसमें वह विधानसभा सीट भी शामिल है, जिस पर डेढ़ दशक से कुलस्ते बंधुओं का एकाधिकार था।
मंडला लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास देखें तो 1957 से लेकर साल 1971 के चुनाव तक लगातार चार बार कांग्रेस प्रत्याशी मगरू उइके यहां से सांसद बने। लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव के बाद भारतीय लोकदल के प्रत्याशी श्यामलाल धुर्वे ने यहां से चुनाव जीत कर कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म किया। 1980 से फिर जनता ने कांग्रेस को चुना। 1980, 1984, 1989 और 1991 तक लगातार चार बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की। इसके बाद 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा ने कब्जा जमाया। फग्गन सिंह कुलस्ते यहां से सांसद बने। इसके बाद वह लगातार 1998, 1999 और 2004 के चुनावों में इस सीट से सांसद चुने गए। इस बीच 2009 में उन्हें कांग्रेस के बसोरी सिंह मरकाम से हार झेलनी पड़ी। लेकिन 2014 में मोदी लहर में एक बार फिर से भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते चुने गए। बीजेपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं।
चूंकि इस लोकसभा क्षेत्र की 91 फीसदी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है इसलिए यहां राष्ट्रवाद से बड़ा मुद्दा कर्जमाफी का है। इसके अलावा स्थानीय मुद्दों की बात करें तो गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र आज भी पानी, पलायन, बेरोजगारी और कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहा है। मंडला का नैनपुर क्षेत्र अंग्रेजों के जमाने में ही रेलवे से जुड़ गया था लेकिन बाद में जब छोटी लाइन चलन के बाहर हो गई तो रेल सेवा भी यहां ठप हो गई। मंडला शहर आज भी रेलवे जैसी बुनियादी सुविधाओं से नहीं जुड़ सका है। ये शहर आसपास के बड़े शहरों के लिए सड़क मार्ग पर ही निर्भर है। यहां रेलवे की सेवाओं का विस्तार नहीं हो सका, इस वजह से व्यापार, रोजगार और शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल सका। ग्रामीण अंचल से पलायन बड़ी संख्या में है।
जातिगत समीकरणों को देखें तो भाजपा ताकतवर भाजपा उम्मीदवार फग्गन सिंह कुलस्ते यहां मजबूत हैं। आदिवासियों में उनकी गहरी पैठ है। यहां की कुल जनसंख्या 27 लाख 58 हजार 336 है, जिनमें से 91.3 प्रतिशत आबादी गांवों में और 8.7 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं, यहां के 60 प्रतिशत निवासी गोंड़ आदिवासी हैं। यहां 52.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 7.67 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं।
मौजूदा सांसद बीजेपी के फगन सिंह कुलस्ते 2014 में एक लाख वोटों से जीते, उन्होंने कांग्रेस के ओमकार सिंह को हराया था।
2009 के चुनाव में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम ने फग्गन सिंह कुलस्ते को पराजित किया था। बासोरी सिंह को 3,91,113 वोट और कुलस्ते को 3,26,080 वोट मिले थे।
2014 में वोटों का फीसदी: 66.79 फीसदी
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