देखिए शाजापुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड | Watch Video :

देखिए शाजापुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

देखिए शाजापुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : September 6, 2018/2:03 pm IST

शाजापुर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्य प्रदेश के शाजापुर विधानसभा क्षेत्र की। ग्रामीण और शहरी परिवेश वाली शाजापुर विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के अरुण भीमावद विधायक हैं। उन्होंने पिछली बार कांग्रेस के कद्दावर नेता हुकुम सिंह कराड़ा को मात दी थी। शाजापुर में सियासत की बिसात बिछ चुकी हैसियासतदानों ने अपनी गोटियां भी बिछानी शुरू कर दी हैंशाजापुर विधासभा क्षेत्र के गांवों में भी राजनीति की ये गर्मी साफ महसूस होने लगी हैपिछले चार-पांच सालों में यदा कदा नजर आने वाले नेता भी अब गलियों और चौराहों पर अक्सर नजर आने लगे हैं

इस इलाके में आप एक दिन घूम आइए आपको समझ में आ जाएगा कि जनता नेताओं से यूं ही नाराज नहीं है ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी सड़क, पानी, बिजली और पेयजल की समस्या बनी हुई हैवहीं सड़कों पर आवारा पशुओँ का मुद्दा यहां बड़ी समस्या बन चुकी हैस्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो कोई बड़ा अस्पताल नहीं होने के कारण अक्सर मरीजों को भोपाल-इंदौर जैसे शहरों में रेफर कर दिया जाता है। शाजापुर विधानसभा की कई कॉलोनियां पीएम नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ाती हैइन कॉलोनियों में न तो नालियां बनाई गई हैं न सड़क है, जिसे लेकर यहां रहने वाले लोगों की शिकायतों की लंबी लिस्ट है। आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य में भले ही बड़ेबड़े मुद्दे गूंजें। लेकिन शाजापुर में तो पानी और नाली ने बड़े मुद्दों के लिए गुंजाइश ही नहीं छोड़ी हैअब आप भले ही इन्हें बासी कहें लेकिन इन इलाकों मे तो एक बार फिर पानी और नाली जैसे ही मुद्दे ही गूंजने वाले हैं

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शाजापुर के सियासी मिजाज की बात करें तो भले ही सीट पर बीजेपी काबिज होलेकिन 2013 तक ये विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करता थाकांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा यहां लगातार 25 साल तक विधायक रहे ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहां के वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा हैलेकिन पिछले चुनाव के बाद यहां के सियासी फिजा में बदलाव महसूस की जा सकती है। शाजापुर में 25 सालों बाद कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ने में सफल हुई बीजेपी तो उसमें बीजेपी के अरुण भीमावद की अहम भूमिका रही। उन्होंने 25 वर्षों तक कांग्रेस का परचम लहराने वाले हुकूमसिंह कराड़ा को हराया और शाजापुर की सियासत में अपनी धाक जमाईअब जब चुनावी साल है तो एक बार फिर यहां चुनावी जंग की तैयारियां शुरू हो गई हैमुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है

वैसे सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो ग्रामीण परिवेश वाली इस सीट पर शुरू से कांग्रेस का दबदबा रहा है और 1994 से 2013 तक कांग्रेस के हुकूम सिंह कराड़ा यहां से विधायक रहेशाजापुर में हूकूम सिंह कराड़ा के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2003 में उमा भारती लहर में भी वे 18 हजार वोटों से चुनाव जीते थेलेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अरुण भीमावद के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हालांकि हुकूम सिंह कराड़ा 1600 वोटों के बेहद कम मार्जिन से चुनाव हारे थेइस चुनाव में बीजेपी को जहां 76911 वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 74973 वोट मिले।

1 लाख 97 हजार 258 मतदाता वाले शाजापुर विधानसभा में पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 2601 है वहीं महिला वोटर्स की संख्या 94 हजार 657 हैशाजापुर में जाति समीकरण भी बेहद खास हैयही वजह है कि यहां की सियासत में मुद्दों के साथसाथ जाति समीकरण भी पार्टी और प्रत्याशियों की किस्मत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में शाजापुर का मैदान मारने के लिए सियासत के खिलाड़ी मुस्तैदी से तैयारी में जुट गए हैंबीजेपी जहां राज्य सरकार के कामकाज गिना कर अपने पक्ष में महौल बनाने में जुटी है  तो वहीं कांग्रेस अपने इतिहास की याद दिला कर लोगों को रिझाने में लगी हैजहां तक टिकट दावेदारों का सवाल है तो दोनों पार्टियों में लंबी लिस्ट नजर आती है।

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शाजापुर की सियासत में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैसियासी चालें चली जाने लगी हैं चौपालों और चौबारों पर इस बात की भी चर्चा होने लगी हैं कि पार्टियों के तुरुप के इक्के यानी उम्मीदवार कौन होंगे। जहां तक कांग्रेस का सवाल है वो यहां से पिछला चुनाव हारने वाले हुकुम सिंह कराड़ा एक बार फिर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वे कमलनाथ गुट के कद्दावर नेताओँ में गिने जाते हैंगुर्जर समाज से ताल्लुक रखने वाले हुकुम सिंह की उम्र इस बार उनकी टिकट दावेदारी में बड़ा रोड़ा साबित हो सकता हैऐसे में अगर कांग्रेस उनकी टिकट काटती है तो रामवीर सिंह सिकरवार का दावा सबसे मजबूत है संगठन में अच्छी पैठ और राजपूत समाज से आने वाले रामसिंह को भी उम्मीद है कि इस बार पार्टी उन्हें मौका देगीयही वजह है कि वो चुनाव की तैयारी में जुट गए हैंहालांकि उन्हें पार्टी के कई कई नेताओं से चुनौती मिलनी तय है।

वहीं दूसरी ओर बीजेपी की बात करें तो सीटिंग एमएलए अरुण भीमावद टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैंपाटीदार समाज से आने के साथ ही अरुण भीमावद की युवाओं में अच्छी पकड़ हैऔर पिछले चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता हुकुम सिंह को हराने के बाद पूरे आत्मविश्वास से भरे हैंलिहाजा इस बार भी वो अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। लेकिन इस बार बीजेपी के लिए टिकट फाइनल करना इतना आसान नहीं रहेगाक्योंकि टिकट के लिए कई नेता अपनी दावेदारी कर रहे हैंइस लिस्ट में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रदीप चंद्रवशी सहित कई नेता हैंजो टिकट पाने के लिए क्षेत्र में सक्रिय हैं।

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कुल मिलाकर शाजापुर की सियासत में दोनों दलों में दावेदारों की लंबी कतार है ऐसे में दोनों पार्टियों के सामने सामने सबसे बड़ी चुनौतीसही उम्मीदवार चुनने की हैउसके बाद ही वो एक दूसरे से मुकाबले को तैयार हो पाएगी।

वेब डेस्क, IBC24

 
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