Modi Ki Guarantee: एक और 'मोदी की गारंटी' हुई पूरी.. मुख्यमंत्री के निर्देश पर गृह विभाग ने पुलिस कप्तानों को जारी की सूचना, बढ़ गया पुलिस का पावर | commissionerate system in mp

Modi Ki Guarantee: एक और ‘मोदी की गारंटी’ हुई पूरी.. मुख्यमंत्री के निर्देश पर गृह विभाग ने पुलिस कप्तानों को जारी की सूचना, बढ़ गया पुलिस का पावर

Edited By :   Modified Date:  December 28, 2023 / 01:05 PM IST, Published Date : December 28, 2023/1:02 pm IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में भाजपा ने एक और ‘मोदी की गारंटी’ को पूरा कर दिया है। डॉ मोहन यादव की सरकार ने पुलिस और क़ानून-व्यवस्था से जुड़े इस मामले में बड़ा फैसला लिया है। उम्मीद जताई जा रही है कि नई प्रणाली के लागू होने से जिलों के क़ानून-व्यवस्था में सुधार आएगा साथ ही आपराधिक गतिविधियों को कम करने में भी मदद मिलेगी।

दरअसल एमपी के डॉ मोहन यादव सरकर ने मध्यप्रदेश के दो बड़े शहर ग्वालियर और जबलपुर में में कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने का एलान किया है। इस तरह अब इन जिलों में पुलिस के मुखिया एसपी नहीं बल्कि पुलिस कमिश्नर होंगे। कमिश्नर को डीएम से जुड़े दण्डाधिकार भी प्राप्त होंगे। इस सम्बन्ध में गृह विभाग द्वारा ग्वालियर और जबलपुर एसपी को सूचना प्रेषित कर दी गई हैं।

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क्या होता है बदलाव

दरअसल आपात स्थिति में पुलिस के अधिकारी बड़े फैसले लेने में अक्षम होते है। उन्हें ज्यादातर फैसलों के लिए डीएम, कलेक्टर अथवा संभागायुक्त पर निर्भर होना। मसलन कानून व्यवस्था बिगड़ने के दौरान धारा 144 लागू करने या फिर अपराधियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने जैसे फैसले। ऐसे में कमिश्नरेट प्रणाली में पुलिस कमिश्नर या पुलिस आयुक्त के पास इस तरह के अधिकार शामिल होते है कि वह सीधे तौर पर यह आदेश जारी कर सके। आसान शब्दों में कहे तो जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं। पावर मिलने से पुलिस गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकती है।

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने पर कमिश्नर का पृथक हेड क्वार्टर तैयार होता है। एडीजी रैंक के वरिष्ठ आईपीएस को पुलिस आयुक्त के तौर पर तैनात किया जाता है। मेट्रो सिटी को अलग-अलग जोन में बनता जाता है। हर जोन में डीसीपी यानी पुलिस उपायुक्त की तैनाती होती है। जो सीनियर पुलिस सुपरिटेंडेंट की तरह उस जोन में काम करते है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।

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