Har Ghar Tiranga Abhiyaan/ Image Source: Mohan Yadav X Handle
भोपाल। Bhopal News: अब शिकारे का आनंद उठाने के लिए आपको कश्मीर की डल झील जाने की जरूरत नहीं होगी। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश की राजधानी में ही आप शिकारे का आनंद उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भोपाल के बोट क्लब पर शिकारे चलेंगे और यहां की जनता डल झील की तरह लहरों पर शिकारे का आनंद उठा सकेगी। सीएम डॉ. यादव ने यह बात 14 अगस्त को उस वक्त कही, जब वे बोट क्लब पर आयोजित तिरंगा नौका यात्रा में शामिल हुए। यह यात्रा हर घर तिरंगा अभियान के तहत निकाली गई। इस दौरान उन्होंने ‘ये देश है वीर जवानों का.., गाना भी गाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत खेलों में भी आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकार भी खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए संकल्पित है। Har Ghar Tiranga Abhiyaan
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Har Ghar Tiranga Abhiyaan: गौरतलब है कि, गुरुवार को भोपाल के बोट क्लब का नजारा बदला-बदला सा दिखाई दिया। सैकड़ों नावों पर सवार लोग हाथों में तिरंगा लिए देशभक्ति के रंग में रंगे दिखाई दिए। चारों ओर बज रहे देशभक्ति गीतों ने देखने वालों में उत्साह भर दिया। लोग खुद भी देशभक्ति के गीत गा रहे थे और अन्य लोगों को भी प्रेरणा दे रहे थे। कई लोग हाथों में देशभक्ति के नारों का पोस्टर लिए लोगों को देश-प्रदेश के विकास के लिए प्रेरित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज भोपाल के तालाब पर लहराते तिरंगे हमें ऊर्जा से लबरेज कर रहे हैं। यहां उठ रहीं लहरें हमें हमारे जन कल्याण के संकल्प को याद दिला रही हैं। ये लहरें हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं।
Har Ghar Tiranga Abhiyaan: सीएम डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार सभी को साथ लेकर प्रदेश के विकास के लिए संकल्पित है। भविष्य में जनता भोपाल के तालाब में भी कश्मीर की डल झील जैसा आनंद उठा सकेगी। मेरी ओर से सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश का उत्साह एवरेस्ट की चोटी से भी ऊंचा है। लेकिन, हमारे विपक्ष के नेता गलतियां करने से बाज नहीं आ रहे। विपक्ष के नेता सेना से कार्रवाई का सबूत मांगते हैं। अब जब पूरा देश 15 अगस्त के मद्देनजर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर झूम रहा है उस वक्त भी विपक्ष राजनीतिक गतिविधियां कर रहा है। हमारे न्यायालय, हमारी सेनाएं और चुनाव आयोग देश के लोकतंत्र के स्तंभ हैं। विपक्ष इन्हीं पर सवाल खड़े कर रहा है। लेकिन, यह प्रश्न उनकी ओर ही बढ़ रहा है कि वे लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं कि नहीं करते हैं।