भोपाल : MP River Link Project : 2023 में एमपी समेत 3 राज्यों में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद बीजेपी अपने अगले मिशन पर निकल चुकी है। 2024 के आम चुनाव से पहले बीजेपी, अटल बिहारी बाजपेयी के एक सपने को पूरा करने पर आगे बढ़ चुकी है। पानी को लेकर बरसों से राजस्थान और एमपी के बीच चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो चुका है और अब नए MoU के तहत MP में पार्वती-कालीसिंध-चंबल और छोटी सहायक नदियों को जोड़ने के साथ 17 नए बैराज बनाए जाएंगे।जिससे ग्वालियर चंबल अंचल के लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इस विषय पर सियासत भी शुरू हो चुकी है।
यह भी पढ़ें : Conversion in Chhattisgarh : ‘धर्मांतरण’ पर दो टूक.. क्या इलाज होगा अचूक?
MP River Link Project : लोकसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान में चम्बल और उसकी सहायक नदियों के पानी को लेकर चल रहा वर्षों पुराना विवाद। केंद्र सरकार के नेतृत्व में दोनों सरकारों ने सुलझा लिया है। दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में MP डॉ मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल ने अंतर्राज्यीय नदी जोड़ो अभियान के तहत संशोधित पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना के लिये MoU साइन किया है। अब राजस्थान अपनी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट पर मध्यप्रदेश की आपत्ति दूर कर 75% डिपेंडेबिलिटी की राष्ट्रीय गाइडलाइन का पालन करने तैयार हो गया है। इसके साथ गांधी सागर डैम की अपस्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदी पर प्रस्तावित 7 छोटे बांधों के निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया ।
अब आइये आपको बताते क्या है पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना।
ये नई परियोजना राजस्थान की ERCP और मध्य प्रदेश की PKCP दोनों को जोड़कर आकार लेगी,करीब 76 हजार करोड़ की इस नई नदी जोड़ो परियोजना का 90% खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान को अपनी-अपनी सीमा में बनने वाले प्रोजेक्ट की लागत का सिर्फ 10% राशि देना होगा। लोकसभा चुनाव के पहले इतनी बड़ी सौगात पर सियासत भी शुरू हो गई है बीजेपी ने कांग्रेस पर इस परियोजना को वर्षो से लटकाने का आरोप लगाया है तो वहीँ कांग्रेस ने कहा कि 18 साल से एमपी में बीजेपी की सरकार थी फिर ये परियोजना क्यों पूरी नहीं हुई ?
MP River Link Project : लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार के बीच पानी लेकर हुआ ये MOU राजनीतिक मायनों में बहुत अहम है। क्योंकि सियासत के समीकरण से मध्य प्रदेश की 7, राजस्थान की 9 लोकसभा सीटों पर इस परियोजना का असर पड़ना तय है। तो क्या एमपी में बीजेपी इस परियोजना के जरिए ग्वालियर चंबल अंचल को साध सकती है और कुछ ही दिनों में बुंदेलखंड के लिए बेहद अहम केन-बेतवा प्रोजेक्ट का भी भूमिपूजन होने जा रहा है। तो सवाल आखिर ये है कि क्या नदी जोड़ते-जोड़ते बीजेपी सरकार के साथ वोटर्स भी जुड़ जाएंगे।
जबलपुर में भाजपा नेता को चाकू से हमला कर घायल…
54 mins ago