MP JNU Indore Law Collage: इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय धार्मिक कट्टरता और महाविद्यालय की लाइब्रेरी में लेखिका डॉ.फरहत खान द्वारा लिखी पुस्तक सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति में हिंदुओं,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों को पढ़ाने के मामले में भंवरकुआं थाने पर एफआईआर दर्ज़ की गई है। इसके साथ ही धार्मिक कट्टरवाद फैलाने के आरोपित 6 शिक्षकों और विवादित पुस्तक को लेकर स्थानीय स्तर पर जांच शुरू कर दी है। वही सवाल खड़े हो रहे है कि क्या इंदौर के शासकीय कॉलेज को जेएनयू बनाया जा रहा था।
MP JNU Indore Law Collage: दरअसल इंदौर का गवर्नमेंट लॉ कॉलेज विवादों में है। बीते तीन दिनों से यहां एबीवीपी और छात्रों के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में कुछ शिक्षकों पर एबीवीपी और छात्र छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं को कॉलेज टाइम के बाद बाहर चलने और पब रेस्टोरेंट में आने के लिए कहा जाता है,इतना ही नहीं कॉलेज के प्रोफेसर हिंदू छात्राओं को लव जिहाद के लिए उकसाते है और मुस्लिम छात्रों से कमिटमेंट करने के लिए कहते हैं। आरोप ये भी है कि गेस्ट फैकल्टी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं पर मुस्लिम छात्रों के साथ पब रेस्टोरेंट में जाने के लिए दबाव बनाते हैं और ऐसा ना करने वाले छात्रों के नंबर काट दिया जाते है या कम कर दिए जाते हैं,या फिर उन्हें फेल कर दिया जाता है।
MP JNU Indore Law Collage: वही बढ़ते विवाद को देखते हुए लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल इनामुर्रहमान ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विद्यार्थियों के आंदोलन का हवाला देते हुए आहत होकर इस्तीफा सौंपने की बात अपने पत्र में लिखी है। प्रिंसिपल ने अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा किरण सलूजा को लिखित इस्तीफा दिया है। सलूजा ने प्रिंसिपल का इस्तीफा उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को भेज दिया है। इस्तीफा स्वीकार या अस्वीकार करना आयुक्त का विशेषाधिकार है।
MP JNU Indore Law Collage: वही लॉ कॉलेज में अकेला एक विवाद नहीं है,बल्कि अब एक किताब ने लॉ कॉलेज प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एलएलएम के कोर्स की सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति नाम की ये किताब कॉलेज की लाइब्रेरी में उपलब्ध है,जिसपर लेखक का नाम डॉ.फरहत खान लिखा है, इस किताब में सीधे तौर पर हिंदू और हिंदू संगठनों की आतंकवादियों से तुलना की गई है। सांप्रदायिक हिंसा के कारण नामक चैप्टर में लिखा गया है कि राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय अखंडता का संकट उत्पन्न हो गया है,हिंदू संप्रदायवाद विध्वंसकारी विचारधारा के रूप में उभर रहा है। विश्व हिंदू परिषद जैसा संगठन हिंदू बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहता है और दूसरे समुदाय को शक्तिहीन बनाकर गुलाम बनाना चाहता है। किसी भी बर्बरता के साथ हिंदू राज्य की स्थापना को उचित ठहराया है। हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है।
MP JNU Indore Law Collage: किताब पर सफाई देते हुए प्राचार्य का कहना है कि लाइब्रेरी में किताब कैसे आई जिसके बारे में जानकारी नहीं है,लेकिन दावे किए गए कि किताब एलएलएम की है,जबकि उसके छात्र कॉलेज में नहीं है। मामला प्रकाश में आने के बाद सवाल ये खड़े हो रहे है कि ये किताब 2015 में ही अवैध कर पूरे देश के सभी संस्थानों से हटा दी गई थी,इस से संबंधित सारे शोध पत्र भी निगरानी में नष्ट कर दिए गए थे,सख्त आदेश थे,2015 में ही विहिप के विरोध के बाद लेखिका फरहत और पब्लिशर पर जुर्माना लगा था,माफी मांगी थी। उसके बाद भी 7 सालों बाद भी इस संस्थान में ये किताब मिलना संदिग्ध है। इससे सीधे तौर पर प्राचार्य की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते है कि किताब छात्रों को गलत दिशा देने का संयंत्र की गई।
MP JNU Indore Law Collage: अब इस पूरे मामले पर एबीवीपी ने भंवरकुआं थाने पर पहुंचकर आपत्तिजनक पुस्तक के मामले में एफआईआर दर्ज कराई है। 4 लोगों के खिलाफ भंवरकुआं थाने में FIR दर्ज हुई हैं। किताब के प्रकाशक,लेखक,कॉलेज के प्रिंसिपल और एक शिक्षक पर केस दर्ज किया गया है। IPC की धारा 153,295A,504,505,34 में मामला दर्ज़ किया गया है। इसके साथ ही अब एबीवीपी ने मांग की है कि सेवानिवृत्त जज व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के लोकपाल नरेंद्र सत्संगी भी पूरे मामले की जांच दी जाए,जबकि फ़िलहाल जांच समिति में अतिरिक्त संचालक डॉ.किरण सलूजा, होलकर कालेज के प्राचार्य सुरेश सिलावट,अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के प्रोफेसर अनूप व्यास शामिल हैं, पर विभाग के ही अपर मुख्य सचिव को जांच सौंपेगी। हालांकि अब इस पूरे मामले पर जांच रिपोर्ट के आने का इंतज़ार है,इसके बाद ही लॉ के छात्रों का भविष्य सुधर पाएगा।
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