Tiger State Madhya Pradesh : भोपाल – मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है। इसी बीच प्रदेश को टाइगर स्टेट का खिताब मिलेगा या नहीं? इसकी तस्वीर इसी माह साफ हो जाएगी। दरअसल, 2018 के बाद अब केंद्र सरकार राज्यवार बाघों की संख्या की रिपोर्ट जारी करेगी। साल 2018 में हुए सर्वे में टाइगर स्टेट का खिताब एमपी के पास है। तब एमपी में 526 बाघ मौजूद थे और कर्नाटक मजह एक बाघ से पीछे होने के कारण टाइगर स्टेट का खिताब हासिल नहीं कर पाया था। मंत्रालय के मुताबिक इस बार बाघों के शावकों की संख्या में इजाफा हुआ है। करीब 125 नए बाघों के साथ प्रदेश में 650 के पार बाघों की संख्या होगी। लेकिन दूसरी ओर एमपी के माथे पर देश में सर्वाधिक बाघों की मौत का कलंक भी लगा है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
Tiger State Madhya Pradesh : आंकड़े बताते हैं कि इस साल के सात माह में 18 बाघ मौत के मुंह में समा गए। चिंता की बात तो यह है कि देश में कुल इस अवधि में 37 बाघों की मौत हुई। मतलब, टाइगर स्टेट एमपी में बाघों की मौत का आंकड़ा देश के अन्य राज्यों से 47 फीसदी ज्यादा है। यदि बात बीते एक दशक करें तो एमपी में ढाई से ज्यादा से ज्यादा बाघों की मौत हुई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि 2012 से 2020 तक 8 सालों में जहां प्रदेश में 202 बाघों की मौत हुई। तो वहीं 2021 से अब तक 15 महीनों में ही 60 से ज्यादा बाघ दम तोड़ चुके हैं। तीन माह में हुई बाघों की मौत का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। टाइगर स्टेट के खिताब को लेकर एक बार फिर सियासत गर्म हो रही है।
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Tiger State Madhya Pradesh : सरकार के मंत्री का दावा है कि प्रदेश के पास फिर टाइगर स्टेट का दर्जा होगा। बाघ संरक्षण की दिशा में प्रदेश सरकार ने कई नवाचार कर अपना नाम देश में बनाया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने बाघों की देश में सर्वाधिक मौतों का जिम्मेदार सरकार को ठहराते हुए कहा कि यह खिताब एमपी के पास हो यही सबकी मंशा है। लेकिन सरकार की नामाकी के कारण एमपी में सर्वाधिक बाघों की मौत हुई। लिहाजा एक बार अपना खिताब गवा चुके एमपी को लगातार दूसरी बार यह तमंगा मिल पाना मुमकिन नहीं है।