मुंबई, 26 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने कहा है कि पूर्व पुलिसकर्मी विनायक शिंदे ने प्रथम दृष्टया उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास विस्फोटक रखने की साजिश में हिस्सा लिया और फर्जी मुठभेड़ मामले में मिली परोल का उसने ‘‘जानबूझकर’’ दुरुपयोग किया।
विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने मंगलवार को शिंदे को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। विस्तृत आदेश शनिवार को उपलब्ध कराया गया।
रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी मुठभेड़ मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा शिंदे पिछले साल फरवरी में एंटीलिया बम की घटना के समय पेरोल पर बाहर था। पूर्व पुलिसकर्मी ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि उसे मामले में ‘‘झूठा फंसाया गया’’ और केवल ‘‘अनुमान और धारणा’’ के आधार पर आरोपी बनाया गया।
शिंदे ने अपने वकील के माध्यम से कहा था कि प्राथमिकी में उसका नाम नहीं था और न ही आरोप पत्र में ऐसी कोई सामग्री थी जो आरोपी की गिरफ्तारी को सही ठहरा सके।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने शिंदे की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी सीधे तौर पर अपराध के कृत्य में शामिल था। साथ ही कहा कि शिंदे के खिलाफ आरोप हैं कि वह स्वेच्छा से एक अन्य आरोपी (सचिन वाजे) द्वारा रची गई संगठित अपराध की कथित साजिश में शामिल हुआ।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री का अवलोकन करते हुए अदालत ने कहा कि यह तथ्य है कि आरोपी हत्या के एक मामले में दोषी है और उम्रकैद की सजा काट रहा है।
अदालत ने कहा, ‘‘परोल के दौरान उसने वाजे से संपर्क किया और मामले में एक गवाह और बार मालिकों को भी वाजे से मिलवाया। उसने उक्त गवाह से जबरन रकम भी वसूल की। इतना ही नहीं, उसने ‘पुलिस कांस्टेबल विनय’ होने का नाटक किया। यह आवेदक/अभियुक्त के आपराधिक व्यवहार और आचरण को दर्शाता है।’’
न्यायाधीश ने आगे कहा कि कारमाइकल रोड (एंटीलिया के पास) पर जिलेटिन वाली गाड़ी रखने और मनसुख हिरन की हत्या की साजिश, अकेले उसके (वाजे) द्वारा किए जाने की दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह तथ्य हो सकता है कि आवेदक (शिंदे) को साजिश के अंतिम परिणाम के बारे में पता नहीं हो, लेकिन, प्रथम दृष्टया, वह इसमें शामिल हुआ और उसने दी गई परोल का जानबूझकर दुरुपयोग किया तथा आपराधिक कृत्य में भाग लिया।’’
अंबानी के आवास के पास 25 फरवरी 2021 को एक वाहन मिला था। इसमें विस्फोटक रखा हुआ था। हिरन ने दावा किया था कि यह वाहन चोरी होने से पहले उसके कब्जे में था। कुछ दिनों बाद पांच मार्च को ठाणे में हिरन का शव मिला था।
भाषा आशीष माधव
माधव
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